सिम्स ने आदिवासी युवक की मौत से झाड़ा पल्ला…जनता कांग्रेस नेता ने कहा…विधानसभा में उढाएंगे सवाल..न्याय मिलने तक करेंगे संघर्ष

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—  करीब महीने भर पहले सिम्स में मलेरिया से आदिवासी युवक की मौत का मामला धीरे धीरे गरमाने लगा है। जनता कांग्रेस नेताओं के साथ परिजनों ने सिम्स प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। जनता कांग्रेस नेताओं ने युवक की मौत के बाद सिम्स का घेराव कर  मामले में जांच की मांग की थी। संतोषप्रद जवाब नहीं लेने मिलने पर जनता कांग्रेस नेताओं ने आज प्रेसवार्ता लेकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। न्याय नहीं मिलने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है। जनता कांग्रेस नेताओं ने कहा मामले को विधानसभा में भी उठाया जाएगा।
                  जनता कांग्रेस नेता विक्रांत तिवारी ने मरवाही सदन में प्रेसवार्ता में बताया कि सिम्स की लापरवाही से एक बार फिर आदिवासी युवक शिकार हुआ है। विक्रांत तिवारी और ज्वाला प्रसाद चतुर्वेदी ने पीड़ित परिवार के साथ प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकारों को जानकारी दी कि हमारे पास पर्याप्त प्रमाण है कि आदिवासी युवक रमेश कुमार अगरिया की मौत सिम्स की लापरवाही से हुई है। जिला ग्रमीण अध्यक्ष ज्वाला प्रसाद चतुर्वेदी और कार्यकरी अध्यक्ष विक्रांत तिवारी ने जानकारी दी कि 12 जून को सिम्स का घेराव कर डीन को ज्ञापन दिया गया था। डीन ने लिखित जवाब में बताया है कि सिम्स की तरफ से किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है।
                                                  विक्रांत तिवारी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सिम्स में दूर दराज से आने वाले गरीबों का निशुल्क इलाज मुहैया करवाना शासन की जिम्मेदारी है। लेकिन यहां रोज मौत का खेल हो रहा है। बिना कमीशन खोरी के काम नहीं किया जाता है।रमेश कुमार अगरिया की मौत के लिए सीधे सीधे सिम्स जिम्मेदार है। इस बात का हमारे पास पर्याप्त प्रमाण है। कार्यकारी अध्यक्ष विक्रांत तिवारी ने पत्रकारों के सामने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि सामुदायीक स्वास्थ केंद्र के दो कर्मचारी/डाक्टर पीडित परिवार का ब्यान लेकर आते हैं। लेकिन सिम्स  प्रबंधन ना बयान लेता है ना ही सीएचसी के बयान पर गौर गी करता है। अब खुद को बचाने अपनी रिपोर्ट में हरिश्चन्द्र होने का दावा कर रहा है।
                 तिवारी ने कहा कि सिम्स में भर्ती होने के बाद मरीज का 75 घण्टे तक उपचार नहीं किया जाता है। उल्टा उसके परिवार से इलाज के लिए 2500 रूपय की मांग की जाती है। अंत में उचित उपचार नहीं होने से आदिवासी युवक की मौत हो जाती है। अब अपनी जांच में सिम्स प्रबंधन रमेश की मौत के लिए उसके  परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहा है।
                               विक्रांत ने जानकारी दी कि 5 जून  शाम 5:30 बजे मरीज रमेश कुमार अगरिया को सिम्स में भर्ती किया गया। काफी मिन्नतों के बाद एक इन्जेक्शन लगा कर रमेश को छोड दिया गया। इसके बाद मरीज को रात भर कोई देखने नही आया। 6 जून को सुबह मरीज को ग्राउण्ड फ्लोर से प्रथम तल में शिफ्ट कर सुबह शाम दो बॉटल पानी चढाया गया। इस बीच रमेश को देखने कोई डाक्टर नही आया। पत्रवार्ता में मृतक के पिता अमोल सिंह ने बताया कि मेरा बेटा रमेश बुखार मे तडपता रहा। 7 जून को भी सिर्फ़ बाट्ल चढाकर छोड़ दिया गया। 8 जून को तीसरी मंजिल से दुबारा नीचे भेजा गया। डाक्टर ने इलाज के लिए 2500 रूपयों की मांग की। पैसे नहीं होने के कारण डाक्टर के सामने गिडगिडाया। लेकिन फरियाद को कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ।
                 अमोल ने पत्रकारों से कहा कि अंत में डाक्टर ने कहा कि पैसे नहीं है तो घर जाओ। यहां बिना पैसों का इलाज नहीं होगा। इसके बाद हम लोग बेटे को लेकर अपनी व्यवस्था पर मरवाही के लिए रवाना हुए। घर पहुंचकर गाड़ी वाले को किराए के दस हजार रूपए दिए। इस बीच रास्ते में ही बेटे की सांस टूट चुकी थी।
                      अमोल ने पत्रकारो के सामने कहा कि हमे न्याय चाहिए। दोषियो के खिलाफ सख्त कार्रवाही हो। विक्रांत ने कहा कि जनता काँग्रेस ने आदिवासी युवक की मौत और सिम्स की लापरवाही के मुद्दे को विधानसभा मे उठाने का फैसला किया है। मृतक की पत्नी 5 माह की गर्भवती है। आने वाले बच्चे के भविष्य को ध्यान मे रखते हुए सरकार से उचित मुआवजा के लिए दबाव बनाया जाएगा। न्याय मिलने तक मृतक रमेश अगरिया के परिवार के लिए संघर्ष करेंगे।
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