रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र अधिक हैं । यहां लघु औद्योगिक विकास और लघु वनोपज प्रसंस्करण जैसे उद्योगों के लिए बिजली जरूरी है । जिसके लिए वन क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त विद्युत आपूर्ति के लिए विशेष कार्ययोजना होनी चाहिए । साथ ही सौर ऊर्जा परियोजनाओं को हरित गतिविधि ही मान्य किया जाना चाहिए । श्री बघेल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है ।
भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है कि छत्तीसगढ़ का 44 फ़ीसदी हिस्सा जंगल है । इस प्रदेश को हरित प्रदेश होने का गौरव प्राप्त है । लेकिन वनों के अधिक के कारण जंगल इलाके में रहने वालों का जीवन काफी कठिन है । कृषि ,व्यापार, उद्योग ,सेवा क्षेत्र संचार और परिवहन गतिविधियों का प्रसार वन अधिनियम और वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के कारण बहुत ही सीमित है । इन कठिनाइयों के कारण वन क्षेत्रों में रहने वालों की आर्थिक वृद्धि और गरीबी में कमी के साथ ही जीवन स्तर में सुधार एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बन चुका है । छत्तीसगढ़ के 10 लक्षित जिलों में से 9 जिलों के अधिकांश हिस्सों में वन है ।
उन्होंने लिखा है कि वन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन में खुशहाली लाना राज्य सरकार का लक्ष्य है । लेकिन इसमें केंद्र सरकार का पूर्ण सहयोग बहुत जरूरी है । वन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में बढ़ोतरी के लिए लघु वनोपज संस्करण प्रसंस्करण ,कृषि प्रसंस्करण एवं संस्करण से संबंधित लघु औद्योगिक इकाइयां जिससे किसी प्रकार का प्रदूषण न होता हो , उनकी स्थापना के लिए वन संरक्षण अधिनियम में जरूरी संशोधन कर इन्हें वानिकी गतिविधियों में शामिल किया जाए । जिससे उद्योगों की बड़ी संख्या में स्थापना का रास्ता खुल सकेगा ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि वन क्षेत्रों के निवासियों को कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना काफी कठिन है । बिना ऊर्जा के किसी भी समुदाय की आर्थिक प्रगति संभव नहीं है । इस समस्या के निराकरण के लिए यह जरूरी है कि क्षेत्रों में 1 से 5 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र परियोजनाओं की स्थापना के लिए अनुमति प्रदान की जाए और नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वन क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त विद्युत आपूर्ति के लिए विशेष योजना तैयार की जाए । उन्होंने इसके लिए वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन कर सौर ऊर्जा परियोजनाओं को हरित गतिविधि ही मान्य किए जाने का अनुरोध किया है।
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