बिलासपुर— छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक संध के बैनर तले प्रदेश के सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने धमतरी जिला प्रशासन सामने तीन सूत्रीय मांग पत्र पेश किया है । छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशानिक सेवा संघ के अधिकारियों ने कहा कि तीन सूत्रीय मांग को पूरी नहीं होने पर कलमबंद हड़ताल किया जाएगा। लिखित शिकायत में कनिष्ठ अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक दबाव में नायब तहसीलदार के खिलाफ निलंबन कार्रवाई की गयी है।सीजीवाल डॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
बताते चलें कि पिछले दिनों धमतरी जिला तहसील के गांव में घास मद की जमीन पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गयी। अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन पर दबाव बनाने परिवार की महिला बिटामिन बाई ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। जिला प्रशासन के निर्देश पर अतिक्रमण के खिलाफ अबियान चलाने वाली नायब तहसीलदार प्रियंका बंजारे को निलंबित कर दिया गया। मामले को लेकर कनिष्ठ छत्तीसगढ़ प्रशानिक सेवा संघ ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। प्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने धमतरी कलेक्टर को लिखित शिकायत में दो टूक कहा है कि यदि प्रियंका के निलंबन को वापस नहीं लिया गया तो कलमबंद हड़ताल का सामना करने को तैयार रहें।
कनिष्ठ प्रशासनिक संघ के पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन को बताया कि प्रियंका बंजारे ने धारा 248 के तहत सरकारी जमीन से बेजाकब्जा हटाने का आदेश दिया। क्योंकि लोगों से लगातार शिकायत मिल रही थी कि खम्मन सिंह का परिवार सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य कर रहा है। जांच पड़ताल के दौरान शिकायत को सही पाया गया। मामले में अनावेदक खम्मन गोंड पिता दरबारी गोंड़ को पर्याप्त पेशी का मौका दिया गया। बावजूद इसके उसने पेशी को गंभीरता से नहीं लिया। उल्टे निर्माण कार्य को रोका भी नहीं गया। अंत में तहसीदार प्रियंका बंजारे को शासन से प्रदत्त 248 धारा का प्रयोग करना पड़ा।
अवैध निर्माण को हटाने 8 जून 2019 को अतिक्रमण टीम गयी। टीम का लोगों ने जमकर विरोध किया। कार्रवाई को रोकने अनाश्यक दबाव डालने का प्रयास किया गया। इसी क्रम में अनावेदक खम्मन गोंड़ पिता दरबारी गोंड की पत्नी बिटामिन बाई ने जहर का सेवक कर लिया। बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। मौत को लेकर जमकर प्रतिक्रिया हुई और जिला प्रशासन ने बिना जांच पड़ताल के नायब तहसीलदार को निलंबन आदेश थमा दिया।
कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि शासकीय जमीन से बेजाकब्जा हटाने की कार्रवाई और आत्महत्या दो अलग अलग मामले हैं। जिला प्रशासन को अच्छी तरह से मालूम है कि शासकीय जमीन से अतिक्रमण हटाने का अधिकार तहसीलदार नायब तहसीलदार को हासिल है। यहां भी नायब तहसीलदार ने अपनी शक्तियों को ना केवल उपयोग किया बल्कि अनावेदक को सुनने और अतिक्रमण हटाने का मौका भी दिया था।
यद्यपि किसी की मौत दुखद है। लेकिन हमारे नियंत्रण में भी नहीं है। लेकिन संगठनों और राजनीति के दबाव में जानते हुए भी जिला प्रशासन ने नायब तहसीदार को निलंबित किया। जबकी यह पूरी तरह से अनुचित है। क्योंकि प्रियंका ने वही किया जो उसके अधिकार में था।
कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने कलेक्टर प्रशासन के सामने तीन सूत्रीय मांग पत्र पेश किया। अधिकारियों ने कहा कि विधि पूर्वक काम किये जाने के बाद भी नायब तहसीलदार पर कार्रवाई समझ से परे। तहसीलदारों को पहले से भी बहुत दबाव में काम करना पडता है। लेकिन यहां तो हद हो गयी। विधिपूर्वक काम करने के बाद भी प्रियंका को निलंबित कर दिया गया। यदि नियम से काम करना अपराध है तो शायद ही कोई तहसीलदार अब अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत करे। क्योंकि निलबंन कार्रवाई से जाहिर हो रहा है कि प्रशासन अतिक्रमण का हिमायती है। नायब तहसीलदार और तहसीलदारों ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच हो। दोषपूर्ण जांचकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। प्रियंका के निलंबन आदेश को तत्काल वापस लिया जाए।
जिला प्रशासन को कनिष्ठ छत्तीसगढ़ सेवा संघ के पदाधिकारियों ने दो टूक कहा कि यदि तीन सूत्रीय मांगो को गंभीरता से नहीं लिया गया तो चरणबद्ध तरीके विरोध किया जाएगा। उग्र आंदोलन से पहले 15 जुलाई को प्रांत स्तरीय कलम बंद हड़ताल किया जाएगा। इसकी जवाबदारी केवल और केवल जिला प्रशासन की होगी।