बिलासपुर।आज रायपुर के एक अखबार में यह समाचार प्रमुखता से छपा है कि रायपुर के कमिश्नर ने शिक्षको को पढ़ाने के बजाय मनमानी करने का पत्र जारी किया है । जिससे समाज में शिक्षकों की छवि धूमिल हुई है।इस समाचार के विरोध में मुखर होते हुए छत्तीसगढ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रान्तीय कोषाध्यक्ष शिव सारथी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि रायपुर कमिश्नर का अभिकथन बिलकुल भी व्यवहारिक नही है ।
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माना कि कमिश्नर हमारे उच्च अधिकारी हैं इसका मतलब यह नही की वे शिक्षकीय गुणवत्ता के नाम पर अधीनस्थों पर कुछ भी आरोप लगा दे।हम मानते है कि कुछ अव्यवस्थाएं है । पर मात्र कुछ लोगों की गलती पर पूरे शिक्षकीय जगत पर आरोप लगाना कहा तक उचित है।
कमिश्नर से हमारी माँग है कि सबसे पहले शिक्षको की ग़ैरशिक्षकीय कार्य पर रोक लगाए तथा शैक्षणिक सत्र में प्रशिक्षण रोके ।
फिर देखे कैसे गुणवत्ता में सुधार आता है।अभी माह भर हुए है स्कूल खुले और शिक्षको का निखार प्रशिक्षण चालू,जाति प्रमाणपत्र कार्य चालू,छात्रवृत्ति का काम चालू, और तो और अब राशनकार्ड सत्यापन में भी ड्यूटी लगा दिया गया है ।अब बताये इन सब झमेले के बाद क्या शिक्षक पढ़ाई करा पायेगा ।हमारी माँग है सबसे पहले ऐसे कार्यो पर रोक लगे गुणवत्ता खुद ब खुद आ जायेगा।