रामनुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)-गुरु पूर्णिमा मंगलवार को पूर्वा असाढ़ नक्षत्र,मित्र योग,धनु और मकर की संधि राशि में पड़ रही है। यह महापूर्णिमा का विशेष संयोग है। यह महायोग मंत्र सिद्ध करने के लिए भी खास है। इसी दिन चंद्रग्रहण पड़ने का संयोग भी विशेष है। धनु और मकर राशि वालों संयम बरतें। अषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु की कृपा बरसेगी। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस साल पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र,मित्र योग में धनु और मकर की संधि राशि में यह महापूर्णिमा पड़ रही है। यह मंत्र को सिद्ध करने का महायोग है। ऋषियों ने हर साल की 12 पूर्णिमाओं में गुरु पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ बताया है। गुरु की मनवाणी से कर्म से सेवा करने वाले शिष्य की सभी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इस दिन ही चंद्रग्रहण होना विशेष संयोग है।
चंद्रग्रहण रात 1:30 बजे से 4:30 बजे तक पड़ेगा। शाम 5 बजे से सूतक लग जाएगा। चंद्र ग्रहण उत्तराषाण नक्षत्रधनु राशि से शुरू होगा। समापन उत्तराषाण द्वितीय चरण मकर राशि में होगा। गुरु पूजन का महत्व ब्रह्मसूत्र,महाभारत,श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म अषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। इस मान्यता के चलते हर साल इस दिन गुरु पूजन होता है। प्रात:काल स्नान कर उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा करनी चाहिए। व्यास जी के चित्र को सुगन्धित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाना चाहिए।
उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर फूल माला पहनानी चाहिए। वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर कुछ दक्षिणा यथासामर्थ्य देकर गुरु का आशीर्वाद लें। इस दिन गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने का बहुत महत्व है। माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु तुल्य समझ कर उनकी इस दिन सेवा करना चाहिए। वहीं इन राशियों पर प्रभाव धनु और मकर राशि वालों को विशेष सावधानी बरतनी होगी।मिथुन,सिंह,कन्या,वृश्चिक और धनु मकर राशि वालों के लिए अनिष्ट कारक है। ग्रह शांति के लिए सफेद कपड़े में पांच मुट्ठी चावल,चीनी सफेद कपड़े में बांध लें। कपड़े में चावल और चीनी को सिर से सात बार उतार कर रख लें।