नरसंहार में 10 नहीं डेढ़ दर्जन से अधिक मौत…जोगी ने कहा…पीड़ितों से लगातार सम्पर्क..गड्ढा खोदकर सामुहिक दफनाया गया…मारने वाले बिहार से

BHASKAR MISHRA
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Ajit Jogi, Janta Congress Chhattisgrah, Mayawati, Bsp, Chhattisgarh,बिलासपुर— जनता कांग्रेस सुप्रीमों अजीत जोगी ने उम्दा सोणभद्र नरसंहार की भर्त्सना की है। अजीत जोगी ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि पीड़ित परिवार के लोगों से फोन के माध्यम से लगातार सम्पर्क में है। 75 साल के रामलाल गोंड और रामनाथ गोंड के परिवार से तीन लोगों की मौत हुई है। तीन लोग घायल हैं। दोनों ने फोन से घटना की जानकारी दी है। सभी लोग अत्यन्त भयभीत हैं। उन्होने जो भी फोन पर बताया वह दिल दहला देने वाला है।
                       प्रेस नोट में जोगी ने उम्भा नरसंहार के प्रभावित परिवार रामलाल और रामनाथ गोड़ं की बातों को जिक्र करते हुए कहा कि मरने वालों की संख्या 10 से कहीं ज्यादा है। एक ही परिवार के नौ लोग मारे गये हैं। इसलिए कुल 10 लोगों की मारे जाने की खबर पीड़ित के अनुसार गलत है। अनुमान के अनुसार 18 से 20 लोग गोलियों और लाठियों के शिकार हुए हैं। नरसंहार का नेतृत्व ग्राम प्रधान अभिदत्त अहिर ने किया। कोमल अहिर, बबूल नाम के लोग प्रमुखता से अकारण गोली बारी कर नरसंहार के सीधे सीधे जिम्मेदार हैं। पहली गोली बबूल नाम के व्यक्ति ने चलायी थी। इसके बाद दूसरों ने अंधाधुंध गोली बरसाना शुरू कर दिया।
                  प्रेस नोट का बातचीत का जिक्र करते हुए जोगी ने कहा कि 30-35 ट्रेक्टरों में भरकर लगभग 150 लोग हथियार से लैस आये थे। जननमें से 7 के साथ बारह बोर और भरमार बंदूक थी। समझौता वार्ता का धोखा देकर ग्राम प्रधान अभिदत्त अहिर ने सभा के नाम पर एक जगह स्थान पर सबको बुलाया। सभा में महिलायें भी शामिल थी। थोड़ी देर चर्चा के बाद बबूल ने पहली गोली चलायी और उसके बाद गोली की बरसात हो गई। 20 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है।  जिन्हें पहले उपचार के लिये बनारस भेजा गया था….उनकी ठीक से चिकित्सा भी नहीं हुई। इसलिये वापस राबर्टगंज अस्पताल में लाया गया। उनकी देखभाल अपेक्षतया ठीक से हो रही है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी घायलों से मिले हैं।
                 जोगी ने बताया कि साल 1955 के लगभग ठाकुर महेश्वर सिंह ने मौखिक रूप से आदिवासियों को गांव में खेती की अनुमति दी थी। तब से लगातार दो-तीन पीढ़ी से आदिवासी परिवार लगभग 700 बीघा जमीन में खेती करते आ रहे हैं। इसी बीच 12 लोगों ने सोसायटी बनाकर जमीन को चोरी से सोसायटी के नाम कर लिया। इन 12 लोगों में कोई भी उत्तर प्रदेश के रहने वाले नहीं है। सभी लोग बिहार निवासी हैं। इनमें से एक आशा मिश्रा ने 150-200 बीघा जमीन 20 लाख रूपये में अभिदत्त अहिर को बेचा था। पहले जमीन पर कब्जा करने के लिये अभिदत्त का बेटा आया । लेकिन गांव वालों ने उसे वापस लौटा दिया। बाद में 15 ट्रेक्टरों में भरकर अभिदत्त के नेतृत्च में नरसंहार किया गया।
                                   घटना की तत्काल जानकारी संबंधित थाने को दी गयी। थाने वालों की मिली-जुली साजिश थी इसलिये कोई नहीं आया। 100 नम्बर डायल करने पर कुछ पुलिस वाले आये और नाजारा देखकर लौट गये। ग्रामवालों का मत है कि पुलिस कांड में मिली -जुली थी । इसलिए किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई। मृतक लोगों का दाह संस्कार भी विधि विधान से नहीं किया गया। हाईवा से एक बड़ा गढ्ढा खोदकर सभी को सामूहिक रूप से दफना दिया गया।

                जोगी ने कहा कि हमारी पार्टी की टीम जिसमें सरगुजा और बलरामपुर के लोग शामिल हैं। जनता युवा कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में इलाके में पहुंच गई है। लेकिन गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है…टीम को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। गांव वाले लगातार फोन कर रहे हैं। लोगों ने आग्रह है कि मैं भी वहां पर पहुंचू। आवश्यक हुआ तो मैं अवश्य ही वहां जाऊंगा।

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