रूर्बन योजना का ई.रिक्शा पंक्चर…हितग्राहियों ने कहा…बैंकर दे रहे धमकी….श्रम विभाग ने भी नहीं निभाया वादा

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

बिलासपुर—- डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन आजीविका मिशन योजना के तहत बांटा गया ई.रिक्शा अब कबाड़ ह चुका है। लेकिन सब्सिडी की राशि चुकता नहीं होने के चलते हितग्राही महीनों से कार्यालय कार्यालय और आवेदन आवेदन खेल रहे हैं। बैंक के दबाव से हितग्राही परेशान हैं। इधर प्रशासन स्तर पर आश्वासन के अलावा पीड़ितों को कुछ हासिल नहीं हो रहा है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

              बताते चलें कि भाजपा सरकार के समय ग्रामीण जीवन को स्मार्ट बनाने डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन आजीविका मिशन योजना को लाया गया। योजना के तहत प्रदेश के चुनिंदा गांव पंचायतों को क्लस्टर बनाकर विकसित जाना था। योजना के तहत चुनिंदा हितग्राहियों को ई.रिक्शा का वितरण किया गया। योजना के तहत मस्तूरी ब्लाक के पांच पंचायतों का क्लस्टर बनाया गया। क्लस्टर में वेदपरसदा किसान, भदौरा,जयरामनगर, मोहतरा और खुडूभाठा को शामिल किया गया। पांचों ग्राम पंचायतों से कुल 13 लोगों के बीच तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने 2 जून 2018 को ई. रिक्शा का वितरण किया। जानकारी के अनुसार सभी ई.रिक्शा अब कबाड़ बन चुके हैं।

                               जिला कार्यालय पहुंचकर पीड़ितों ने बताया कि ई.रिक्शा वितरण के समय बताया कि लोगों को स्वालम्बी और गांव को  स्मार्ट बनाने रूर्बन योजना को लाया गया है। खासकर महिलाओ को योजना के तहत स्वालम्बी बनाने ई.रिक्शा का वितरण किया गया। पीडित हितग्राहियों के अनुसार यह भी जानकारी दी गयी कि किसी भी हितग्राही को घर से एक रूपए भी नहीं देना पडेगा।

              शिकायत करने पहुंची पीडित हितग्राही माधुरी साहू, शकुन्तला साहू, राधा बाई संतोषी साहू,श्यामा सोनी,गायत्री साहू, मैनकुंवर,जमुना,केरा बाई,शीतला साहू,क्रांति साहू और पुनिया ने बताया कि ट्रायसायकल मिलने के बाद परेशानी बढ़ गयी। ई.रिक्शा कम्पनी के लोगों ने कहा कि सभी हितग्राहियों को बैंक से लोन निकलवाना पड़ेगा। विरोध करने पर कम्पनी के लोगों ने बताया कि परेशान होने की जरूरत नहीं है।क्योंकि एक लाख 58 हजार में से एक लाख 50 हजार रूपए शासन से सब्सिडी के रूप में बैंक के खाते में डाल दिया जाएगा। आश्वासन के बाद हमने आठ हजार रूपए खर्च कर खाता खोला गया। कुछ दिनों बाद जिला पंचायत की तरफ से सब्सिडी की एक लाख रूपए तो खाते में आ गए। लेकिन 58 हजार रूपयों का आज तक भुगतान नहीं किया गया है। बैंक कर्मचारी पिछले पांच छह महीने से घर पहुंचकर रूपए की मांग करते हैं। रूपया वसूलने के लिए अनावश्यक दबाब भी बनाते हैं।

                               हितग्राहियों के अनुसार बचे हुए पचास हजार रूपए श्रम विभाग को देना है। लेकिन श्रम विभाग सब्सिडी देने में आना कानी कर रहा है। राशि नहीं मिलने से बैंक मैनेजर घर पहुंचकर रोज धमकी देता है। महिलाओं ने बताया कि ई.रिक्शा अब कबाड़ हो चुका है। मात्र पांच छः महीेने बाद रिक्शा चलने लायक नहीं रह गया है।

                                               पीड़ितों ने बताया कि हम लोग जनपद और जिला पंचायत में एक दर्जन से अधिक बार लिखित गुहार की है। सब्सिडी भुगतान के लिए दबाव भी बनाया। लेकिन श्रम विभाग ने सब्सिडी देने से पल्ला झाड़ लिया। बैंकर जमीन जायजाद कुर्क करने की धमकी दे रहे हैं। इसके पहले  बैंक किसी तरह की कार्रवाई करे। श्रम विभाग को सब्सिडी भुगतान करने के लिए कहा जाए। पीडित महिलाओं ने कहा कि ई.रिक्शा पांच छः महीने पहले ही कबाड़ हो चुका है। ऐसी सूरत में हम गरीबों के सामने जमीन जायजाद कुर्क होने के बाद मुसीबत आ जाएगी। परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा।

close