कश्मीर तोड़ना भाजपा की वोट राजनीति….कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा…संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— कश्मीर मामले पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि धारा 370 को जिस तरह हटाया गया वह प्रक्रिया संविधान सम्मत नहीं है। अभय नारायण ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। केवल वोट की राजनीति को ध्यान में रखकर मोदी सरकार ने सीमावर्ती राज्य कश्मीर को विभाजित किया है।

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                कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अभय़ नारायण राय ने कांग्रेस कार्यालय से अधिकृतक प्रेस नोट जारी कर कर भाजपा सरकार पर वोट की राजनीति करने का आरोप लगाया है। राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन आज सदन में जिस तरीके से धारा 370 को हटाने की कार्रवाई हुई है। निश्चित रूप से संविधान सम्मत नहीं है। देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधानिक प्रकिया के खिलाफ है।

            राय ने कहा कि चीन जब कश्मीर इलाके में सड़क बनाता है तो भाजपा सरकार कुछ नहीं करती है। लेकिन मोदी सरकार ने एक झटके में सत्ता के मद में वोट की राजनीति के लिये सीमावर्ती राज्य को विभाजित कर दिया। भारत राज्यों का संघ है, यूनियन ऑफ स्टेटस है। जम्मू-कश्मीर का विभाजन किया जाना केन्द्र शासित प्रदेश बनाना जम्मू-कश्मीर राज्य की पहचान और अस्तित्व पर हमला है।

                                 कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यहां सवाल हिंदू और मुसलमान का नहीं है। जैसा भाजपा इसे बनाने की कोशिश कर रही है। पाकिस्तान को हमले का मुकाबला 1948 में पाकिस्तान की फौज और रजाकारों की बंदूको का मुकाबला कश्मीर के लोगो ने और महिलाओं ने घर से बाहर निकल कर लाठियों से किया था।

                              पाकिस्तान स्पान्सर्ड आतंकवाद का मुकाबला कश्मीर की जनता , भारत की सेना , पुलिस और मुख्यधारा के राजनैतिक दलों ने किया है। लाखो सिविलियंस सेना पैरामिलिट्री पुलिस के हजारो जवानों, मुख्यधारा के राजनैतिक दलों के लोगों ने कश्मीर को भारत का अंग बनाये रखने के लिये अपनी जाने दी है।

अभय नारायण राय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर मामले में मोदी सरकार ने किसी भी राज्य के विभाजन के लिये भारत में स्थापित परंपराओं और प्रक्रिया का खुला उल्लंघन किया है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का निरादर किया है। राज्य पुर्नगठन आयोग के गठन और सुनवाई की बात तो दूर , राज्य के विभिन्न राजनैतिक दलों और पक्षों से चर्चा करना तक मुनासिब नहीं समझा।  स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।

                                   जम्मू-कश्मीर के नेताओं की नजरबंदी और इंटरनेट सेवाओं को बाधित किये जाने की जरूरत पड़ने से स्पष्ट हो जाता है कि वहां हालात मोदी सरकार के नियंत्रण से बाहर हो चुके है। अलगाववादी राजनैतिक दल पीडीपी के साथ 5 साल तक भाजपा और महबूबा मुक्ती की गठबंधन सरकार चलना ही उत्तरदायी है।

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