डॉक्टरों ने खोला 11 साल बाद मुंह…डॉक्टरों ने बताया…ट्रिसमस रोग से खतरे में था मन्नु..मिल गया नया जीवन

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

बिलासपुर— दुनिया में ट्रिसमस की शिकायत तेजी से आ रही है। भारत या छत्तीसगढ़ भी इस बीमारी से अछूता नहीं है। मुंह नहीं खुलने के रोग ट्रिसमस है। इस समस्या के लिए हैं। लेकिन एक मात्र ईलाज जबड़ो के जोड़ों का आॅपरेशन है। जब बन्द होने की शिकायत दुर्घटना, अक्लदाढ़ के संक्रमण, तम्बाखू या फिर गुटखा के सेवन से हो सकता है। यह जानकारी अपोलो के सीईओ डॉ. सजल सेन,डॉ.प्रबुद्ध सेन और डॉ. विनय खससन ने दी।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                                        डॉ. सजल सेन,डॉ.प्रबुद्ध सेन और डॉ. विनय खससन ने पत्रकारों को बताया कि पान सुपारी का उपयोग पुराने समय से हो रहा है। तात्कालीन समय बहुत अधिक मॅुह नहीं खुलने की समस्या नही पायी सामने नहीं आयी। आखिर वजह क्या है कि मुंह नहीं खुलने यानि ट्रिसमस की समस्या बढ़ गयी है।

               डॉ. सजल सेन ने बताया कि गुटखा का अत्यधिक उपयोग और उपयोग के तरीकों ने ट्रिसमस को बढ़ावा मिला है। समस्या से ग्रसित लोगों के लिये अपोलो हाॅस्पिटल में विशेष ट्रिसमस क्लिलिक का इंतजाम है। मन्नू राम कोशले का सफल इलाज किया गया। पथरिया निवासी मुन्नू राम कोशले 11 साल से मुंह नहीं खोल पा रहा था। उसका इलाज गलत हुआ। जिसके चलते उसका जबड़ा लाक हो गया। वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ विनय खरसन ने आपरेशन कर मुन्नू राम को नया जीवन दिया है।

                     डॉ.विनय खरसन ने बताया कि मुंह  बंद होने के विभिन्न कारण हैं। खरसन ने बताया कि मुंंह के अंदर की त्वचा या परत अत्यधिक संवेदनषील होती है। मनुष्य के जागते हुए विभिन्न क्रियाकलापों जैसे बात करना. खाद्य पदार्थ चबाना आदि के साथ सफाई  भी करता है। लेकिन सोते समय यह प्रकिया रूक जाती है। गुटखा या पान को दबाकर सोने से सबम्यूकोसा यानि मुंह की त्वचा…दबाए गए गुटखे से प्रभावित होता है। जिसके कारण मुंह में घाव हो जाता है। धीरे-धीरे मुंह खुलना बन्द हो जाता है। यदि इसे तब भी नहीं रोका गया तो  कैंसर का होना निश्चित है।

                     डाॅ खरसन और डाॅ प्रबुद्ध सेन ने बताया कि मन्नु लाल के आॅपरेशन में बहुत जटिलता थी। आॅपरेशन के दौरान फेशियल नर्व को खतरा था। चेहरे में स्थायी लकवा हो सकता था। लेकिन सावधानी से ना केवल आपरेशन किया गया…बल्कि मन्नूलाल का मुंह भी ठीक हो गया। जबड़ा खुलने लगा है। मन्नुलाल  साल से मुंह नहीं खोल पा रहा था। इस दौरान उसका पाइप से ही खाना पीना होता था। खसरन और सेन ने बताया कि सामान्यतः मुंह का कम से कम 30 एमएम तक खुलना होता है। यदि ऐसा नही है तो इलाज की जरूरत है।

                       डाॅ प्रबुद्ध सेन ने बताया कि सोने के पहले मुंह साफ जरूर करना चाहिए। इससे मुंह संबंधित समस्याओं से निजात मिलती है। आपरेशन के बाद ठीक हुए मरीज मन्नू राम कोषले ने बताया कि मुंह नहीं खुलने से परेशान था। एक सड़क हादसे के दौरान चोट लगी थी। कई अस्पतालों का चक्कर काटा। गलत इलाज से मुंह खुलना बन्द हो गया। अपोालों में डाॅ विनय खरसन के संपंर्क में आया। तीन महीने बाद उसकी स्थिति सामान्य हो गयी है।

                   पत्रकारों को डाॅ सजल सेन ने बताया कि मुंह नहीं खुलने की समस्या के लिये अपोलो अस्पताल ने सप्ताह के एक दिन ट्रिसमस क्लीनिक आरंभ किया है।ताकि लोगों को सही ईलाज मिले और मरीज सामान्य हो सके।

Share This Article
close