मशहूर फिल्म अभिनेत्री विद्या की मौत….निर्माता मधुर भंडारकर ने कहा…बेहतरीन काम की वजह से की जाएंगी याद

BHASKAR MISHRA
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मनोरंजन डेस्क…गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री विद्या सिन्हा की मौत हो गयी है। विद्या सिन्हा वासू चटर्जी की मशूहर फिर्म रजनीगंधा की अभिनेत्री थीं। अपने अभिनय की यात्रा में शिखर तक पहुंची बॉलीवुड अभिनेत्री 71 साल की थी। फेफड़े और हृदय की बीमारी के कारण उनका एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी है। विद्या सिन्हा को सांस में तकलीफ की वजह से रविवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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                             1974 में फिल्म रजनीगंधा से चर्चा में आई विद्या सिन्हा ने छोटे पर्दे पर भी राज किया है। रजनीगंधा फिल्म में लता मंगेशकर का गाया शीर्षक गीत ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’ को आज भी चाव से सुना जाता है। विद्या सिन्हा ने करीब 25 से अधिक फिल्मों में काम किया है।। 2011 में आखिरी बार विद्या को फिल्म बॉडीगार्ड में कैमियो के रोल में देखा गया।

                     1974 में फिल्म ‘राजा काका’ से बड़े पर्दे पर कदम रखने वाली विद्या पिछले कुछ समय से छोटे पर्दे पर सक्रिय थीं। धारावाहिक ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ में दादी का किरदार निभा रही थीं। खराब स्वास्थ्य के चलते एक महीने से अभिनय से दूर थीं। विद्या ने छोटे पर्दे पर ‘काव्यांजलि’, ‘हार जीत’, ‘कुबूल है’ और ‘इश्क का रंग सफेद’ ‘चंद्र नंदिनी’ धारावाहिकों में काम किया है।

                                15 नवंबर 1947 को जन्मी विद्या के पिता राणा प्रताप सिंह फिल्म निर्माता थे। मॉडलिंग से उन्होंने अपना फिल्मी करियर शुरू किया था। मिस बांबे प्रतियोगिता जीतने के बाद फिल्म निर्माता बासु चटर्जी ने रजनीगंधा में काम दिया। विद्या सिन्हा की निजी जिंदगी सुर्खियों में रही। 1996 में पति वेंकटेश्वरन अय्यर का निधन हो गया। दोनों के बीच एक बेटी जाहवी है। अय्यर के निधन के बाद विद्या ने 2001 में नेताजी भीमराव सालुंखे से दूसरी शादी की थी। हालांकि शादी टिक नहीं सकी।  2009 में उन्होंने सालुंखे के खिलाफ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज कराई ।  उसी साल दोनों में तलाक भी हो गया ।

                    विद्या सिन्हा की मौत की खबर सुनकर वाल़ीवुड के नामचीन सितारों ने दुख दुख प्रकट किया है। मधुर भंडारकर ने कहा कि विद्या अपने बेहतरीन काम की वजह हमेशा याद की जाएंगी। फिल्म अभिनेत्री रितुपर्णों ने कहा कि मधुर आवाज और अलौकिक सुंदरता उन्हें दूसरों से अलग करती थी। फिल्म ‘तेरे आने से’ में उनकी बेटी के रूप में काम कर मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार वालों के साथ हैं।

     बताते सिन्हा ने हवस’ (1974), ‘छोटी सी बात’ (1975), ‘मेरा जीवन’ (1976), ‘इन्कार’, ‘किताब’ (1977), ‘पति, पत्नी और वो’, ‘सफेद झूठ’ (1978), ‘सुबूत’ (1980), ‘लव स्टोरी’, ‘जोश’ (1981) समेत कई यादगार फिल्में भारतीय सिनेमा को दी हैं।

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