भ्रष्टाचार में डूबी शिक्षकों की स्थानांतरण व्यवस्था, AAP नेता ने कहा – पढ़ाई लिखाई चौपट

Shri Mi
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बिलासपुर।टके सेर भाजी टके सेर खाजा  देखव दाई- ददा,भाई- बहनी, नोनी अऊ टुरा मन का करत हे छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के राजा …! यह जुमला छत्तीसगढ़ सरकार के  शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली पर फिट बैठता है …। यह प्रेस नोट जारी करते हुए आप पार्टी के नेता विनय जायसवाल ने बताया किप्रदेश की सरकार छत्तीसगढ़ के परिवेश में ढले बसे स्कूल शिक्षा विभाग के  शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों और राज्य के अन्य कर्मचारियों में  फर्क क्यो नही समझती है…?  स्कूल शिक्षा विभाग  ट्रांसफर पोस्टिंग के  खेल में मस्त है।सीजीवाल डॉटकॉम के whatsapp group से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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जबकि छात्रो के सिलेबस का एक भाग से अधिक  का कोर्स खत्म हो चुका है।15 जून के शिक्षण सत्र के प्रारंभ होने से 15 अगस्त तक कि इस अवधि तक शिक्षक और छात्रो के बीच अच्छा खासा आपसी तालमेल बन जाता है। शिक्षक कमजोर और प्रतिभा शाली छात्रो  को पहचान कर ऐसे छात्रो पर विशेष ध्यान देते है।

विनय ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार  के अधिकारी जो शिक्षको को गर्मियों की छुट्टियों में भी स्कूलो में शिक्षा गुणवत्ता और समर कैम्पो के नाम पर स्कूल खोलने को मजबूर करते है। उनके दिमाग मे लगभग आधे सिलेबस तक पढ़ा चुके शिक्षको के स्थानांतरण को लेकर कोई ठोस योजना सरकार को क्यो नही सौपी है।

आप नेता विनय  जायसवाल ने बताया कि प्रदेश में ग्राम पंचायतो और नगरीय निकाय के चुनाव नजदीक है। इस कार्य मे सबसे बड़ा मानव बल शिक्षको का ही लगना है।स्कूल शिक्षा विभाग का ट्रांसफर और कथित लेनदेन  गर्मियों में किया जा सकता था। शिक्षको के पास गर्मी की छुट्टियों में ट्रांसफर व्यवस्था में फिट बैठने का पर्याय समय मौजुद रहता।

एक शिक्षक को अपनी कक्षा के हर  विद्यार्थियों के स्वभाव और उनके पढ़ने की छमता समझने में बहुत वक़्त लगता है।आधे सत्र में शिक्षक क्या छात्रो को समझेगा। क्या खुद को नई पोस्टिंग में एरिया में ढालेगा।  स्वेच्छा से जिन्होंने ने ट्रांसफर का आवेदन दिया है वे तो किसी तरह ढल जाएंगे।  लेकिन प्रशासनिक आधार पर हुए ट्रांसफर आम शिक्षको के लिए आघात से कम नही है। सरकार शिक्षको की तुलना अन्य कर्मचारियों से नही करे.. शिक्षक भविष्य गढ़ रहे है।

विनय ने बताया कि प्रथम दृष्टि में तो यही लगता है कि शिक्षको का ट्रांसफर धन और अनुमोदन से चल रहा है। जहाँ माननीयों का अनुमोदन काम नही करता है वहाँ क्या …?…. धन से प्रशासनिक ट्रांसफर कर दिया जा रहा है। पास से दूर दूर से पास की कुर्सी पर बिठाने का  खेल चल रहा है। शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है।

स्कूल शिक्षा विभाग इन्ही राष्ट्र निर्माताओं के साथ थोक के भाव मे प्रशासनिक ट्रांसफर का छल कर रही है।शिक्षा कर्मीयो के स्थानांतरण की व्यवस्था भ्रष्टाचार में डूब गई है। जिसके परिणाम आगामी निकायों और पंचायत के चुनाव में सबके सामने दिखेगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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