छत्तीसगढ़ के महात्मा गांधी ने ली अंतिम सांस…पद्मश्री के निधन से…शोक में डूबा प्रदेश…लोगों ने नम आखों से किया याद

BHASKAR MISHRA
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जांजगीर– छत्तीसगढ़ के आधुिक गांधी पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का निधन हो गया है। पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए सोंठी आश्रम में रखा गया है। बापट ने अपने वसीयत मे शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान देने के लिए कहा है।

                           छतीसगढ़ के आधुनिक गांधी गणेश बापट को पिछले साल अप्रैल में पंडित श्यामलाल के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया था। पद्मश्री बापट चांपा शहर से आठ किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ का संचालक थे। बापट ने अपने जीवन को कुष्ठ पीड़ितों की सेवा में समर्पित कर दिया। कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे ने की थी। बापट 1972 में संस्था से जुड़े। कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा में अपने आप को समर्पित कर दिया।

                                         पद्मश्री बापट ग्राम पथरोट, जिला अमरावती महाराष्ट्र के मूल निवासी थे। नागपुर से बीए और बीकाॅम की पढ़ाई की। बचपन से उन्हें सेवाभावना का संस्कार मिला। दस साल की उम्र राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े पढ़ाई पूरी करने के बाद  बापट ने जीवकोपार्जन के लिए कई जगह हाथ पैर मारा। रोजगार की तलाश और सेवा भावना के चलते उन्होन छत्तीसगढ़ में भ्रमण किया। इसी दौरान वनवासी कल्याण आश्रम जशपुरनगर में उन्हें जाने का मौका मिला। उन्हें वनवासी ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी समाज को शिक्षित करने का जिम्मा मिला। इस बीच बापट को ग्राम सोठीं स्थित कुष्ठ निवारक संघ की जानकारी मिली। सोढी पहुचने के बाद बापट ने अपना जीवन कुष्ठ पीड़ितों की सेवा में अर्पित कर दिया।

                दामोदर गणेश बापट के प्रयास से संस्था परिसर स्वतंत्र ग्राम बन गया। छात्रावास, स्कूल, झूलाघर, कम्प्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई प्रशिक्षण, ड्राइविंग प्रशिक्षण, अन्य एक दिवसीय प्रशिक्षण, चिकित्सालय, रूग्णालय, कुष्ठ सेवा, एंबुलेंस, चलित औषधालय एंबुलेंस व कुपोषण निवारण, कृषि, बागवानी, गौशाला, चाक निर्माण, दरी टाटपट्टी निर्माण, वेल्डिंग, सिलाई केंद्र, जैविक खाद, गोबर गैस, कामधेनु अनुसंधान केंद्र, रस्सी निर्माण समेत अन्य गतिविधियां संस्था से संचालित होने लगी। बापट के प्रयास से आज संस्था का नाम देश विदेश में सम्मान के साथ लिया जाता है। संस्था को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच से अनेक पुरस्कार और सम्मान हासिल हुए हैं।

                         पद्मश्री बापट की निधन की जानकारी के बाद प्रदेश में शोक का माहौल है। कुष्ठ रोगियों के मसीहा के निधन की खबर मिलते ही…लोगों को अपने आप पर एक बारगी से विश्वास ही नहीं हुआ। प्रशासनिक स्तर पर भी पद्मश्री के निधन पर दुख को जाहिर किया गया है। बापट को छत्तीसगढ़ के लोग सेवाभाव को देखते हुए आधुनिक गांधी के नाम से जानते हैं।

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