आबकारी विभाग में करीब 11 करोड़ का घोटाला…सहायक आयुक्त पर गिरी गाज…शासन ने जारी किया जांच का फरमान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर/रायपुर–– शासन ने महासमुंद के तात्कालीन जिला प्रंबंधक,सीएसएमसीएल सह जिला आबकारी अधिकारी प्रवीण वर्मा को निलंबित कर दिया है। शासन का आरोप है कि प्रवीण वर्मा ने पद पर रहते हुए  दस करोड़ रूपए से अधिक का घोटाला किया है। जांच पड़ताल में पाया गया है कि दो अलग अलग वित्तीय वर्ष में विक्रय राशि और बैंक खाते में भारी असमानता है। विक्रय खाता में दर्ज राशि से करोड़ों रूपए कम राशि बैंक में जमा हुआ है।

                आडिट रिपोर्ट में जानकारी सामने आयी है कि महासमुंद जिला आबकारी अधिकारी रहते हुए प्रवीण वर्मा ने भारी वित्तीय लापरवाही की है। जिसके चलते शासन के राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ है। वर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान भारी लापरवाही और उदासीनता का परिचय दिया है।

                         आडिट रिपोर्ट के अनुसार प्रवीण वर्मा के रहते हुए महासमुन्द जिला आबकारी विभाग से शासन को साल 2017-18 में एक करोड़ 11 लाख 14 हजार,3 सौ तेरह रूपयों की विक्रय राशि को बैंक में जमा ही नहीं किया गया। इसी तरह साल 2018-19 में पंकज वर्मा के कार्यकाल के दौरान 8 करोड,99 लाख,68 हजार,440 रूपयों की विक्रय राशि शासन के खजाने में नहीं डाला गया। इस तरह शासन को पिछले दो सालों में करीब 11 करोड़ रूपयों का नुकसान उठाना पड़ा है।

                                  आडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक में जमा राशि और कार्यालय में रखे गए दस्तावेजों में भारी अंतर है। आडिट के दौरान हासिल दस्तावेज के अनुसार दो सालों में करीब 11 करोड़ राशि  बैंक में जमा होनी थी। लेकिन खाते में दस्तावेज के अनुसार राशि जमा नहीं हुई है। इससे जाहिर होता है कि करीब 11 करोड़ राशि का गबन किया गया है। इसके लिए सीधे तौर पंकज वर्मा जिम्मेदार है।

आडिट में भारी गड़बड़ी उजागर होने के बाद शासन प्रवीण वर्मा के खिलाफ जांच दल का गठन किया है। इसके साथ ही पंकज वर्मा को निलंबित कर आबकारी आयुक्त कार्यालय रायपुर संलग्न कर दिया है। जांच होने और निर्णय आने तक पंकज वर्मा को जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का आदेश दिया गया है।

जानकारी यह भी मिल रही है कि प्रवीण वर्मा के पीछे कुछ शराब माफिया हाथ धोकर पीछे पड़े है। फिलहाल इसमें कितनी सच्चाई है…इसके लिए जांच रिपोर्ट का इंतजार करना ही होगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि  11 करोड़ राशि घोटाला में कितनी सच्चाई है।

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