भारतीय परंपरा…अर्पण के भाव से है जिंदा

BHASKAR MISHRA
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WANIबिलासपुर—पुराने समय में…उससे भी पहले..जब धर्म- कर्म का समाज में व्यापक प्रभाव हुआ करता था। वृद्धाश्रम, बालश्रम.अनाथालय जैसी संस्थाएं नहीं हुआ करती थीं। तब परंपराएं बहुत मायने नहीं रखती थीं। जैसे जैसे समाज ने विकृत स्वरूप लेना शुरू किया। वैसे वैसे कृत्रिम आश्रमों का भी जन्म हुआ। परंपराएं जटिल होती गयीं। ऐसे में परिवर्तन का सवाल ही नहीं उठता। देखकर दुख होता है कि लोग अब संयुक्त परिवार में रहना पसंद नहीं करते हैं। स्नेह तो जैसे गायब हो गया है। घर के अनुभवी लोग अनाथालय में फेंके जा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में समय के साथ सेवाओं के अनेक रूप ने भी जन्म लिया। जो.. आज मानवता को बचाने का काम कर रहीं हैं। यह बातें बिलासपुर नगर निगम की पूर्व महापौर वाणीराव ने सीजी वाल से तर्पण और अर्पण अभियान को लेकर कहीं।

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           वाणी राव ने बताया कि मुझे हर वह परंपरा पसंद है… जिसमें जन का हित जुड़ा हो। यदि मानव और जीवहित में परंपराओं में बदलाव किया जाता है…वह स्वागत योग्य है। ऐसी परंपराओं का मेरी नजर में कोई मायने नहीं.. जहां भरे पेट को भोजन दिया जाए और भूखे पेट को दुत्कारा जाए। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे समाज बुद्धिजीवी और प्रगतिशील हुआ… परंपराओं के मर्म को कम…पाप पुण्य में ज्यादा उलझ गए। इस सोच ने ही रूढ़िवादियों को जन्म दिया। कहने का मतलब लोग लकीर के फकीर हो गये । सही अर्थों में ऐसी सोच रखने वाले मानवता के सबसे बड़े दुश्मन हैं। मुझे खुशी है कि सीवीआरयू के कुल सचिव शैलेन्द्र पाण्डेय़ ने तर्पण के बहाने अर्पण का जो कदम उठाया है…उससे दकियानूशी विचारधारा पर लगाम लगेगा। मानव समाज को नई दिशा मिलेगी।

                 वाणी राव ने बताया कि वेदों से लेकर सभी धर्म ग्रन्थों में ईश्वर ने कहा है कि भूखों के पेट में..प्यासों के होंठ में…जरूरतमंदों के सपनों में मेरा वास करता हूं। जो इनकी पूर्ति करता है उसके दिल में रहने लगता हूं। वाणी राव ने बताया कि भगवान का कुछ ऐसा स्वभाव ही है कि जिसने जरूरत मंदों की निष्काम भाव से मदद किया. वह उसी के हो जाते है। सच कहूं तो जरूरत मंदों की सेवा..बहुत बड़ी परीक्षा है।

                   वाणी राव ने बताया कि कुल सचिव शैलेष पाण्डेय़ के क्रांतिकारी कदम का मैं प्रणाम करती हूं। सही अर्थों में उन्होंने भारतीय दर्शन को पहचाना है। उन्होंने पितरों के तर्पण के बहाने जरूरतमंदों को अर्पण करने का जो बीड़ा उठाया है…उससे समाज को नई दिशा मिलेगी। इसके पहले उनके पितर ही उन्हें इतना आशीर्वाद देंगे कि उनका कोष जरूरतमंदों के लिए कभी खाली नहीं होगा। पूर्व महापौर ने कहा कि मै हर उस पढ़े लिखे इंसान को बताना चाहूंगी कि यदि उन्हें…ईश्वर से साक्षात्कार करना है तो दिल में..कुलसचिव शैलेन्द्र पाण्डेय की तरह तर्पण के पहले अर्पण का भाव लाना होगा। अन्यथा वे वही गलती दुहराएंगे…जिसे उनके पितरों ने किया था।

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