भ्रष्टाचार की हद हो गयी…शिक्षा विभाग में जमकर उड़ रही नियम की धज्जियां….एक ही स्कूल में कई लोगों का स्थानांतरण…जूनियर बन गया बीईओ

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— शिक्षा विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग का खुला खेल रुकने का नाम नही ले रहा है। प्रतिदिन जारी होने वाली स्थानांतरण सूची में भ्रष्टाचार की बू को महसूस किया जा सकता है। स्थानांतरण आदेशो में छत्तीसगढ़ राज्य स्थानांतरण नियम 2019 की खुले आम धज्जियां शिक्षा विभाग के अधिकारी उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जहां एक तरफ स्थानांतरण आदेश की सूचियों को देखकर गद गद हो रहे हैं तो दूसरी तरफ भुक्तभोगियों के पसीना छूट रहे हैं।
                       बताते चलें कि छत्तीसगढ़ राज्य स्थानांतरण नीति 2019 की कड़िका 1.6 और 2.6 में स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी हालत में पदों के न्यूनता वाले स्थान से आधिक्य वाले पद स्थानों पर कर्मचारियों का स्थानांतरण नही होगा। यानि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों से शहरी शालाओं में स्थानांतरण प्रतिबंधित रहेगा। इसके अलावा नियम की कडिका 2.7 में राज्य के पिछड़े 10 जिलों में स्थानांतरण विशेष परिस्थितियों में ही करने का निर्देश है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग के उच्य अधिकारी नियम कायदों को दरकिनार कर अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। अधिकतर स्थानांतरण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में किया जा रहा है।। मतलब बैंक बैलेंस बढ़ाने का खेल जमकर चल रहा है।
एक ही शाला में कई लोगो का स्थानांतरण
                         शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमर्जी का आलम यह है कि शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में पद से कई गुना स्थानांतरण कर दिया गया है। 22 अगस्त 2019 को जारी स्थानांतरण सूची क्रम संख्या 53 में सीमा साहू और क्रम संख्या 54 नीलमणि सोनी दोनों व्याख्याता भौतिक शास्त्र का स्थानांतरण एक ही शाला शासकीय कन्या शाला बिलासपुर किया गया है। इसी आदेश में क्रम संख्या 58 में आशुतोष सिंह व्याख्याता भौतिक शास्त्र  का स्थानांतरण चाटीडीह किया गया है। जबकि इसी शाला में 21 अगस्त 19 की जारी स्थानांतरण सूची में क्रम संख्या 73 में बबीता सिंह का स्थानांतरण व्याख्याता भौतिक शास्त्र के पद पर किया गया है। स्थानांतरण सूची में ऐसी सैकड़ो गलतियां है…जिसे संदेह की नजर से देखा जा सकता है। जाहिर सी बात है कि इसका फायदा जिला शिक्षा अधिकारी को मिलना है।
पंचायत शिक्षको का भी स्थानांतरण शिक्षा विभाग की सूची में
                शिक्षा विभाग में लापरवाही और भ्रष्टाचार का खेल जमकर चल रहा है। इस बात को इस उदाहरण से अच्छी तरह से समझा जा सकता है। शासन के निर्देशानुसार ऐसे शिक्षक जिन्होंने 1 जुलाई 2019 की स्थिति में आठ वर्ष पूर्ण नही किये है। वर्तमान स्थिति में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी है। उनका स्थानांतरण शिक्षा विभाग नहीं कर सकता है। लेकिन भ्रष्टाचार का आलम यह है कि शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षकों का भी स्थानांतरण भी कर दिया बै। 22 अगस्त 2019 को जारी शिक्षक स्थानांतरण आदेश के क्रम संख्या 100 में अरविंद प्रधान के पद नाम मे स्पष्ट शिक्षाकर्मी वर्ग 2 और इसी आदेश के क्रम संख्या 121 में मंजूषा वर्मा के पद नाम मे स्पष्ट रूप से शिक्षक पंचायत लिखा है। दोनों ही पद नाम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के है ना की शिक्षा विभाग के।
व्याख्याता एल बी को बना दिया विकास खंड शिक्षा अधिकारी
                 शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सारे नियमों को तोड़ने की कसम खा रखी है। यही कारण है कि मात्र 1 वर्ष की शिक्षा विभाग में सेवा अवधि वाले गिरीश चंद लहरे को विकास खंड शिक्षा अधिकारी गौरेला जिला बिलासपुर बना दिया है। जबकि गिरीश चंद लहरे का संविलियन 1 जुलाई 2018 को  हुआ है। जबकि विकास खंड शिक्षा अधिकारी के लिए न्यूनतम योग्यता प्राचार्य के पद पर कम से कम पांच वर्ष सेवा का होना अनिवार्य है। लेकिन प्रदेश भर में दर्जनों व्याख्याता को विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद प्रदान किये गए हैं।
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