भरभरा कर गिर गया…स्कूल भवन….प्रतिबंध के बाद भी लग रही थी क्लास..डीईओ का बेशर्म बयान…पुराना था गिर गया

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—शहर से चन्द किलोमीटर दूर निरतु स्थित माध्यमिक शाला भवन की गिरने की आवाज जिला शिक्षा कार्यालय तक पहुंची।लेकिन दिन भर स्थानांतरण उद्योग में मशगुल जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल भवन के गिरने की आवाज सुनाई नहीं दी। शुक्र है कि जिस समय भवन दीवार गिरी..स्कूल नहीं लगा था। अन्यथा बड़ी घटना को टालना मुश्किल था।
                      मंगलवार को शाम चार और पांच बजे के बीच निरतु स्थित स्कूल भवन के दो कमरे धराशाही हो गए। बताया जा रहा है कि दोनों जर्जर कमरों में प्रतिबंध के बाद भी प्रायमरी स्कूल की क्लास लगती है।  हादसे के समय स्कूल बंद था। अन्यथा बहुत बड़ी अनहोनी को टालना मुश्किल था।
                  कोटा बीईओ अंचल ने बताया कि निरतु में चार कमरों का स्कूल भवन है। यहां कुल 306 से अधि बच्चे पढते हैं। प्रायमरी और मिडील स्कूल की क्लास एक साथ सुबह की पाली में लगती है। चार में से एक कमरा पहले से ही जर्जर था। जर्जर कमरे से लगे दूसरे कमरे में क्लास लगती है। हादसे के समय स्कूल बन्द था। स्कूल में एक दर्जन से अधिक शिक्षक पदस्थ हैं।
                          बीईओ ने बताया कि जर्जर स्कूल के मरम्मत के लिए हर बार रूटीन में जानकारी दी जाती है। जिला शिक्षा विभाग को मरम्मत कराने प्रस्ताव भी भेजा जाता है। लेकिन विभाग ने ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा हमने प्रशासन से नए भवन की भी मांग की है। लेकिन गंभीरता से नहीं लिया गया।
                                बताते चलें कि निरतु गांव में चार कमरों के जर्जर भवन में प्रायमरी और मीडिल स्कूल एक साथ लगता है। मंगलवार की शाम करीब पांच बजे के आसपास भवन का एक कमरा भरभरा कर गिर गया। उस समय स्कूल बन्द था। जिसके चलते किसी प्रकार जान की हानि नहीं हुई।
चार कमरों…लगता है स्कूल
                                                            स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल में प्राइमरी और मिडिल स्कूल एक साथ लगता है। मिडिल स्कूल की कक्षाएं दो कमरों में लगती है। बाकी दो कमरों में प्रायमरी स्कूल का संचालन किया जाता है। स्कूल में करीब  चार सौ से अधिक बच्चे दूर दराज गांव से पढ़ने आते हैं। स्कूल का संचालन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होता है।
               ग्रामीणों ने बताया कि प्राइमरी स्कूल के बच्चो के लिए यहां पर्याप्त कक्षाएं हैं। लेकिन मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाई में काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि बेहतर होता कि प्रायमरी और मिडील स्कूल का संचालन अलग-अलग किया जाए। कई बार मांग के बावजूद शासन ने ध्यान नहीं दिया। यद्यपि हम लोगों ने शिक्षकों के साथ शासन से कई बार स्कूल मरम्मत से लेकर नए भवन बनाए जाने की मांग की। लेकिन आज तक ध्यान नहीं दिया गया। शुक्र है कि हादसे के समय कोई नहीं था। अन्यथा बहुत बुरा परिणाम होता।
कक्षाएं लगाने पर प्रतिबंध
                              नाम उजागर नहीं होने की सूरत में स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक ने बताया कि ‘सोमवार की सुबह जो दो कमरे ध्वस्त हुए है। चार साल पहले दिल्ली से आई शैक्षणिक निरीक्षण की टीम ने सील कर दिया था। टीम ने  सील कमरे में भूलकर भी क्लास नहीं लगाने का निर्संदेश दिया था। मामले की जानकारी जिला शिक्षाअधिकारी को भी दी गयी थी। टीम ने बताया था कि किसी भी समय हादसा हो सकता है। सोमवार को ऐसा ही हुआ। दो कमरे भरभरा कर गिर गए।
              शिक्षक ने बताया कि मनाही के बाद भी इन दोनों कमरों में प्रायमरी स्कूल का संचालन पिछले चार साल से किया जाता रहा है। मामले की जानकारी जिला शिक्षा प्रशासन को भी है। लेकिन विभाग ने बच्चों की जिन्दगी और भविष्य को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया।
समय समय देते हैं जानकारी…बीईओ
                    कोटा ब्लाक बीईओ अंचल ने बताया कि जिला शिक्षा प्रशासन को भवन की जानकारी रूटीन में देते रहे हैं। हमने भवन मरम्मत के अलावा नए भवन की मांग कई बार कर चुके हैं। लेकिन हमारी मांगों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया। हादसे में दो कमरे पूरी तरह से  बरबाद हो गए हैं। एक बार फिर नए भवन की मांग जिला शिक्षा प्रशासन से करेंगे। हमारा काम रिपोर्ट देना है। हमने अपना काम ईमानदारी से किया है।
हमेशा की तरह नहीं उठाया फोन
            हादसे की जानकारी को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी आर.एन.हीराधर से सम्पर्क का प्रयास किया। उन्होने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। जब रूबरू होकर मामले की जानकारी मांगी गयी तो….उन्होने हमेंशा की तरह नीरस उत्तर दिया। हीराधर ने कहा कि मामले में जांच करेंगे। पुराना भवन था…गिरना निश्चित था। चिंता करने की कोई बात नहीं है।
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