अजीत जोगी की जाति के मामले में FIR को शून्य करने अमित जोगी ने भेजा लीगल नोटिस

Shri Mi
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बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ जाति मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने को लेकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने संवैधानिकता पर सवाल उठाए हऐं। उन्होने इस सिलसिले में लीगल नोटिस भेजा  है।  जिसकी प्रतिलिपि राज्यपाल, मुख्यमंत्री   ,उच्च स्तरीय छानबिन समिति, पुलिस अधीक्षक जिला बिलासपुर,थाना प्रभारी सिविल लाईन बिलासपुर, टी आर भरद्वाज तहसीलदार बिलासपुर को भी भेजी गई है।

नोटिस के सम्बंध मे  अमित जोगी ने कहा की  FIR No 559/2019 दिनांक 29/08/2019 को शून्य करने हेतू हमरी ओर से बिलासपुर कलेक्टर को लिगल नोटिस भेजा गया है । जिसमे स्पष्ट कहा गया है की आपके द्वारा अजीत  जोगी के विरुद्ध छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013 की धारा 10 (1) के तहत अपराध पंजीबद्ध कराया गया है। उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के दिनांक 23अगस्त 2019 को पारित आदेश के अंतर्गत थाना सिविल लाइंस बिलासपुर में कल दिनांक29/08/2019 को रात्रि 9:40 बजे कंडिका क्रमांक 7 में अजीत प्रमोद कुमार जोगी को जारी 7 जाति प्रमाण पत्र को खारिज करने हेतु आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी आपके द्वारा जारी किए गए हैं।

इस सन्दर्भ में उन्होने  भारतीय संविधान  काहवाला दिया है । जिसके अनुच्छेद 20 (1) अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण ‘कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करने के समय,जो अपराध के रूप में आरोपित है, किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी।’ इसकी ओर ध्यान आकृष्ट करकते हुए उन्जिहोने कहा है कि इसमें किसी भी दंडनीय कानून को पूर्वव्यापी प्रभाव देने पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया गया है। उपरोक्त आदेश की कंडिका 7 में दर्शित सभी प्रमाण पत्र अधिनियम 2013 की धारा 10 (1) के लागू होने के पूर्व जारी किए गए थे। अतः 2013 में पारित उपरोक्त अधिनियम की धारा 10 (1)  अजीत प्रमोद कुमार जोगी को सन 1967, 1984, 1986, 1993, 1993, 2001, 2003 में जारी जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त करने हेतु किया जाता है, तो वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 (1) एवं  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित नेशनल कमिशन ऑफ  वुमन Vs स्टेट ऑफ दिल्ली और अन्य (2010 (12) SCC 559) कमलादेवी Vs कुशल कँवर और अन्य, (AIR 2007, SC663) में स्थापित न्यायिक सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन होगा।

अमित जोगी ने बताया की हमने उनसे निवेदन किया है कि उपरोक्त प्रथम सूचना प्रतिवेदन (FIR) को तत्काल शून्य घोषित करने के निर्देश जिला पुलिस अधीक्षक बिलासपुर को दें । अगर उनके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है और उपरोक्त धारा के अंतर्गत अजीत प्रमोद कुमार जोगी पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही की जाती है तो इस गैरकानूनी असंवैधानिक एवं अवैधानिक कृत्य के लिए वे निजी तौर पर जवाबदार रहेंगे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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