सहायक शिक्षक फेडरेशन से जाकेश साहू बर्खास्त … कहा – वर्ग 3 की लड़ाई लड़ रहा था और लड़ता रहूंगा…

Shri Mi
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बिलासपुर।सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक जाकेश साहू को अनुशासन के नाम पर संघ से किया गया बर्खास्त। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष ने जाकेश साहू पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कई इल्ज़ाम लगाए हैं। कहा गया है कि संगठन के नियमों के विपरीत, संगठन के पदाधिकारियों के आम सहमति बगैर अपनी इच्छा से सोशल मीडिया में अपने नाम से एकतरफा अपने समाचार प्रसारित करके आम सहायक शिक्षकों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं साथ ही प्रान्त के पदाधिकारियों, सम्भाग पदाधिकारियों, जिला पदाधिकारियों के विरुद्ध गलत बयानबाजी करके पदाधिकारियों सहित संगठन के नियम के विपरीत कार्य करते हुए संगठन की गरिमा को ठेस पहुंचाया है।साथ ही कई आरोप लागये है।

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वर्ग तीन की लड़ाई में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले कुछ प्रमुख शिक्षक नेताओं में से एक शिक्षक नेता प्रदीप पाण्डेय ने बताया कि हमने वर्ग तीन की लड़ाई की शुरूवात जमकर की थी। पहला लक्ष्य संविलियन था उसके बाद वर्ग तीन की वेतन विसंगति ,क्रमोन्नत वेतनमान, पदोन्नति के मुद्दे पर शासन से लड़ते रहे हैं।

प्रदीप ने बताया कि संविलियन के बाद सहायक शिक्षक वर्ग तीन को एकजुट करने में जाकेश का अहम योगदान रहा है। जाकेश ने अपने पद एवं संगठन से इस्तीफा देकर वर्ग तीन की लड़ाई की शुरुवात की थी ।

वे अपनी आक्रमक शैली की वजह से जाने जाते हैं। नियुक्ति बर्खास्तगी किसी भी संगठन का आंतरिक मामला है, किन्तु वर्ग तीन के संघर्ष को बड़ी लड़ाई की ओर ले जाने में और फेरेशन को खड़ा करने में जाकेश साहू का बड़ा योगदान रहा है।

प्रदीप ने बताया कि पूर्व का यह अनुभव रहा है कि शिक्षाकर्मी नेता किसी संगठन से निकाले जाने के बाद कोई ना कोई संगठन अवश्य बनाता है और यह ग़लत भी नहीं है किन्तु इससे शिक्षाकर्मी बटते गए हैं।

वर्ग तीन जिस एकजुटता के साथ संघर्ष कर रहा है उसमें जाकेश साहू के अलग होने के बाद विखंडन होगा खेमे बनेंगे जो आम सहायक शिक्षक के लिए हितकर नहीं होगा।

वही जाकेश के समर्थन में आये कुछ शिक्षक कहते हैं कि वर्तमान में फेडरेशन गुलदस्ता गैंग हो गया है। बड़े आंदोलन की जगह इसके नेता अधिकारियों मंत्रियों से मेल मिलाप में ज्यादा लगे है। ज्ञापन पॉलिटिक्स अभियान के तहत मंत्रीयों के आस-पास फूल माला लेकर चंद लोग हाजिर हो जाते हैं। उसके बाद मंत्रियो के साथ फ़ोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया में वायरल करते हैं। जताते हैं कि मांगे बस…. पूरी होने वाली है।

चर्चा में शिक्षक बताते हैं कि पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान रायपुर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन रैली ऐतिहासिक रही थी। पर फेडरेशन नई सरकार बनने के बाद कोई विशेष छाप या सन्देश नही दे पाया है। लगता है कि फेडरेशन के पदाधिकारी बड़े आंदोलन करने से डरते है। फेडरेशन की पुरानी सरकार के कार्यकाल में जो धार थी वह अब खत्म होती लगती है।अगर मोर्चा के आंदोलन से संविलियन मिला …! तो फेडरेशन के आंदोलन से अब तक क्या मिला ..? दोनो सरकार के खिलाफ कोई ठोस लड़ाई फेडरेशन अब तक नही लड़ पाया है। वर्ग तीन की लड़ाई अन्य संघ भी लड़ रहे हैं। इन्होंने अब तक सिर्फ राजनीति की है।

और कुछ नही किया है। जरुरत है वर्ग तीन के हक के लिए सड़कों पर उतरने की जिसकी हिम्मत फेडरेशन के बैनर में गायब दिखाई दे रही है। फेडरेशन के नेता यह भूल जाते है कि सड़क पर सरकार के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए ही प्रदेश के सहायक शिक्षक फेडरेशन में शामिल हुए थे।
फेडरेशन से बर्खास्तगी पर वही जाकेश का कहना है कि संघ के कुछ लोगो को सिर्फ राजनीति करना है वे करे मैं वर्ग तीन की लड़ाई लड़ रहा था और लड़ता रहूंगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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