रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)।सनातन धर्मावलंबी महिलाओं ने आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी शनिवार को नहाय-खाय के साथ जिउतिया महाव्रत का संकल्प लिया। वंश वृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए रविवार को महिलाएं निर्जला जिउतिया व्रत रखकर कन्हर नदी के तट पर स्थित राममंदिर, महामाया मंदिर,शिव मंदिर एवं अपने अपने घरों पर भी पूजा अर्चना कर कथा श्रवण किया।
महियाये 33 घन्टे रहती हैं उपवास
व्रत के दौरान लगभग 33 घंटे तक व्रती महिलाओं ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। व्रत का पारण सोमवार को सुबह करेगी। इधर जिउतिया को लेकर शहर के तमाम बाजारों में चहल-पहल रही। देर शाम तक खरीदारी होती रही। खासकर नोनी साग,झिंगनी (सुतपुटिया),कंदा सहित फलों कि खरीदारी लोगों ने जमकर की। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जिउतिया की अधिक धूमधाम रहती है।
जिउतिया कथा कि ऐसे हुई शुरुवात
कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में अपने पिता गुरु द्रोण की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था। उसके हृदय में बदले की भावना भड़क रही थी। इसी के चलते वह पांडवों के शिविर में घुस गया।
शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला। वे सभी द्रोपदी की पांच संतानें थीं। फिर अर्जुन ने उसे बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को गर्भ को नष्ट कर दिया। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसको गर्भ में फिर से जीवित कर दिया। गर्भ में मरकर जीवित होने के कारण उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा। तब से ही संतान की लंबी उम्र और मंगल के लिए जितिया का व्रत किया जाने लगा।