लम्बे इलाज के बाद प्रो.खेरा ने ली अंतिम सांस…अपोलो प्रबंधन की पुष्टि….कर्मस्थली में ही होगा अंतिम संस्कार

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर—अपोलो अस्पताल में करीब 6 महीने से अधिक समय से भर्ती प्रो.खेरा का आज निधन हो गया। खेरा ने करीब 11 बजे अंतिम सांस ली है। प्रो.पीिडी खेरा दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापन कार्य करते थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ करीब 1982 में एक टूर में उनका आना अविभाजित मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़ जिला बिलासपुर में आना हुआ। उन्होने अमरकंटक अचानकमार जंगल क्षेत्र का भ्रमण किया। इसके बाद उन्होने अचानकमार क्षेत्र को ही अपनी कर्मस्थली बना दिया।

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                                      प्रोफेसर पीड़ी खेरा की गिनती देश के बड़े बुद्धिजीवियों और समाजसेवियो में होती है। उन्होने अपना सारा जीवन आदिवासियों के उत्थान और सामाजिक स्थित सवारने में लगा दिया। तात्कालीन मध्यप्रदेश सरकार की अनुमति के बाद उन्होने आदिवासी समाज खासकर बैंगा जनजाति के बीच बहुत काम किया। तात्कालीन समय प्रदेश में बैगा और गोंड़ जनजाति के बीच साक्षरता के साथ स्वास्थ्य इंडेक्स मृतप्राय थी। डॉ.खेरा ने जंगल विभाग के सहयोग से छपरवा को अपना केन्द्र बनाया।

                    आदत से घुम्मड़ और आलसी बैगा समाज के बच्चों के बीच उन्होने जगजागरण अभियान चलाया। देश विदेश के साथ स्थानीय मध्यप्रदेश सरकार ने उनके अभियान को जमकर सहयोग किया। इसके पहले डॉ.खेरा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इस्तीफा देकर दिल्ली को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया। छपरवा में झोपड़ी बनाकर आदिवासी खासकर गोंड़ और बैगा समाज के बच्चों के जीवन में उजियारे लाने अपने जीवन को होम कर दिया।

                               प्रोफेसर पीडी खेरा अचानकमार क्षेत्र में घनघोर जंगल में रहने वाले आदिवासी समाज को  अपना परिवार बनाया। बच्चों को टाफी,बिस्किट देकर अपने से जोड़ा। उन्हें गंदगी से बाहर निकालने का भगीरथ प्रयास किया। स्वास्थ्य के मायने समझाया। बैगा और गोड़ों के बच्चों को खाई का प्रलोभन देकर शिक्षा से जोड़ा। स्कूल खोलकर बच्चों को खुद पढ़ाना शुरू कर दिया। धीरे धीरे आज उनके पढ़ाए बच्चे बड़े बड़े ओहदों पर काम कर रहे हैं। निधन से पहले भी प्रोफेसर खेरा अपने अभियान को लगातार गति बनाकर रखे थे।

                                                     करीब 6 महीने पहले हार्ट अटैक की शिकायत पर प्रोफेसर खेरा को अपोलो में भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपोला का दौरा किया। धीरे धीरे उनका स्वास्थ्य भी ठीक हो गया। लेकिन बहुत कमजोरी के कारण अपोलो में रहे। सोमवार को सुबह प्रोफेसर पीड़ी खेरा ने अंतिम सांस ली है। उनका अंतिम संस्कार उनके अपने आदिवासी समाज के बच्चो के बीच किया जाएगा।

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