बिलासपुर— समाजसेवी और शिक्षाविद् प्रोफेसर प्रभुदत्त खेड़ा के निधन से समाज को अपूर्णनीय क्षति हुई है। कांग्रेस भवन में श्रद्धांजली देते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने कहा कि प्रोफेसर प्रभुदत्त खेड़ा सही मायनों में गांधीवादी, गांधीविचारक, समाज सेवक और शिक्षावद थे। दिल्ली से प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त होने के बाद लगभग 30 सालों से बिलासपुर के अचानकमार स्थित लमनी और छपरवा में बैगा आदिवासियों की सेवा कर रहे थे।
अटल ने बताया कि आदिवासी बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाया। अटल ने कहा कि हमने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को तो नहीं देखा…लेकिन दावे के साथ कह सकते हैं कि वह प्रभुदत्त खेड़ा की तरह ही रहे होंगे। खेड़ा की सादगी भरा जीवन लोगों को जीवन भर संदेश दिया। मैं कांग्रेस पार्टी की तरफ से उनको अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली देता हूं। उनके कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता है।
गृहमंत्री ने भी दी श्रद्धांजलि
कांग्रेस की बैठक के बाद प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी प्रोफेसर खेड़ा के निधन पर शोक जाहिर किया,। साहू ने कहा कि खेड़ा का जीवन त्याग, तपस्या और सादगी से भरा था। प्रोफेसर खेड़ा ने एक संत की तरह जीवन व्यतीत किया। विषेशकर आदिवासी बच्चों के लिए अपना जीवन होम किया। प्रोफेसर खेडा सही मायनों में संत थे। आदिवासी बच्चों के बीच काम करना, हमेशा समाज को प्रेरणा देता रहेगा। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली अर्पित की गई,। सभा में विधायक शैलेष पाण्डेय, विधायक रश्मि सिंह, पूर्व सांसद कमला मनहर, प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव, पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश बाजपेयी, सियाराम कौशिक, जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी, शहर अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर, प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय समेेत जिला, शहर के कमोबेश सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।