शिक्षा विभाग का ताजा हाल…तबादले के खेल में हर कोई लाल….लेकिन तबादला चाहने वाले बेहाल !

Shri Mi
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बिलासपुर।शिक्षा विभाग का ताजा हाल। तबादले के खेल में हर कोई लाल लेकिन तबादला चाहने वाला है बेहाल है।तबादले के तकनीकी पेंच पर …कुर्सी की मर्जी के हथियार का ट्रिगर जिला स्तर के अधिकारियों से शुरू होते हुए ब्लॉक व शाला प्रमुखों के पास रहा है। प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों से शिक्षकों को भार मुक्त और पद ग्रहण कराने में कई पेंच लागये गए। जिन निर्देशों का उलेख स्थानांतरण नीति 2019 में था ही नही।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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स्थानांतरण के आवेदन में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से पद रिक्त है इसका प्रमाण आवेदन के साथ लगाना है कही नही लिखा था। फिर कई लोगों ने आवेदनों में पद रिक्त है इसका प्रमाण पत्र लगाया..! और जिन्होंने ने इसे नही लगाया वो तनाव में थे।

स्थानांतरण के लिए दिये आवेदनों के प्रोफार्मा में कही नही लिखा था कि शाला प्रमुख से अनुमति चाहिए..। लेकिन अपने पद के ट्रिगर का उपयोग कई स्कूलों के प्राचार्यो व प्रभारी प्राचार्यो, प्रधानपाठकों सहित हेड मास्टरों ने जमकर किया है। शिक्षकों ने अपना स्थानांतरण आवेदन शाला प्रमुखों से प्रमाणित करने के लिए सील साइन करने को कहा तो ज्यादातर मामलों में पद पर बैठे शाला प्रमुखों ने अपने ट्रिगर का उपयोग किया शिक्षको के आवेदनों में ना तो दस्तखत नही किये और ना ही सील लगाया, और तो और कई शाला प्रमुखों ने अपने स्कूल में विषय शिक्षक नही होने पर स्थानांतरण की अनुमति नही दी जा सकती यह तक लिख दिया था। स्थानांतरण करना नही करना जिला शिक्षा अधिकारी व राज्य शासन के क्षेत्र अंतर्गत होता है।

शिक्षको के स्थानांतरण नीति पर गड़बड़ी की शुरुवात तो उसी दिन शुरू हो गई थी जब विभाग ने 19 कालम का आवेदन पत्र का फार्म जारी किया था। इस फार्म के कालम में शिक्षकों से ही पूछा गया था, कि किस जिले में कौन से स्कूल में उन्हें स्थानांतरण चाहिए।

एक नमूना जैसे कि एक सामान्य शिक्षक जगदलपुर से अम्बिकापुर स्थानांतरण चाहता है।उसे इस बात की जानकारी अम्बिकापुर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ही मिल सकती थी, कि किस स्कूल में कौन सा पद खाली है । शासन ने ऐसी कोई व्यवस्था नही की थी, जिससे यह जानकारी शिक्षकों के मध्य सार्वजनिक हो कि अम्बिकापुर जिले के अमुख ब्लाक में अमुख स्कूल का अमुख वर्ग का अमुख विषय का पद रिक्त है। यह हाल छत्तीसगढ़ के सभी जिलों का था।

स्कूलों में रिक्त पद व रिक्त विषय के शिक्षक की जानकारी के अभाव में पच्चीस से तीस हजार शिक्षकों ने शिक्षक संघो या शिक्षक के परिजनों या स्वयं के द्वारा जुटाई गई जानकारी के आधार पर स्थानांतरण आवेदन में तीन स्कूलों का चयन करके फार्म जमा किया। कुछ शिक्षकों ने दो स्कूल के विकल्प का चयन किया और तीसरे विकल्प में जिला शिक्षा अधिकारी के विकल्प में लिख दिया था। आधी अधूरी जानकारी के अभाव में ट्रिगर का खेल जो चला उससे सब वाकिफ है।

एक ही पद… एक ही विषय… एक ही स्कूल के लिए कइयों के आवेदन आये जिसकी पहुँच जिसका रसूख सबसे बड़ा था उसे वह स्कूल अलाट कर दिया गया। कई शिक्षकों ने स्कूल में खाली पद है या नही है इसकी जानकारी सही है या गलत यह तो शिक्षा विभाग ही बता सकता है।

चर्चा में यह बात भी सामने आई कि कई शिक्षकों ने जिला और अंतर जिला के स्थानांतरण के लिए प्रभारी मंत्री या स्थानीय विधायक से अनुमोदन ही नही करवाया था। उनके आवेदन पर क्या निर्णय हुआ उनका स्थानांतरण हुआ या नही यह जानकारी भी शिक्षा विभाग के पाले में है। जो कि सूचना के अधिकार के तहत संभवतः ही ज्ञात हो सकती है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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