शिक्षाकर्मी नेता ने किया ऐसा काम…गली गली में हो रही चर्चा…भुलाना होगा मुश्किल..सरकार ने नहीं किया..अमित ने कर दिखाया

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— लम्बी लड़ाई के बाद एक शिक्षाकर्मी नेता ने संविलियन को यादगार बनाने अपने वेतन का करीब सवा लाख रूपए स्कूल को दान दिया। शिक्षक के दिए हुए रूपयों से स्कूल का बाउन्ड्रीवाल बनाया गया। स्कूल के छात्रों में अपने शिक्षक के प्रति अपार श्रद्धा देखने को मिल रही है। अब उन्हें आवारा मवेशियों की परेशानियों से दो चार नहीं होना पड़ेगा। बताते चलें कि स्कूल के छात्र-छात्राएं अपने प्रिय शिक्षक के स्थानांतरण को लेकर बहुत दुखी है। उन्हें उम्मीद है कि एक ना दिन अमित नामदेव हमारे स्कूल आएंगे। और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा जरूर देंगे।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे
जानकारी हो कि नवीन शिक्षाकर्मी प्रदेश संगठन के उपाध्यक्ष अमित नामदेव ने शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में करीब आठ साल से शिक्षाकर्मी होकर सेवाएं दी है। लम्बी लड़ाई के बाद सराकर ने शिक्षाकर्मियों को पूर्ण शिक्षक का दर्जा दिया। इसके बाद अमित नामदेव का स्थानांतरण विलासपुर हो गया।
                               नवीन शिक्षाकर्मी संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित कुमार नामदेव ने एक ऐसा मिसाल पेश किया जिसकी लोग खासकर शिक्षाकर्मी लोग कल्पना ही कर सकते हैं। लम्बी लड़ाई के बाद सरकार ने शिक्षाकर्मियों को संविलियन का तोहफा दिया। बाद शिक्षको का स्थानांतरण का अधिकार भी दिया। इसी क्रम में आठ से शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय मे शिक्षाकर्मी रहकर छात्रों को शिक्षादान देने वाले अमित नामदेव का भी संविलियन हुआ। संविलियन के बाद अमित नामदेव का स्थानांतरण बिलासपुर हो गया।
                                 चूंकि अमित नामदेव शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय सलका नवागांव में शिक्षा देने का काम किया। इस दौरान उन्होने महसूस किया कि स्कूल को सुरक्षित रखने एक अदद बाउन्ड्रीवाल की सख्त जरूरत है। इस दौरान स्कूल प्रबंधन ने कई बार शासन से बाउन्ड्रीवाल के लिए बजट की मांग की। लेकिन बजट नहीं मिलने से स्कूल बाउन्ड्री का निर्माण नहीं हो सका। इसके चलते छात्र छात्राओं को अवारा मवेशियों और असामिजक तत्वों से परेशानी हो रही थी।
                 अमित नामदेव ने संविलियन के बाद फैसला किया कि वह संवलियन के तोहफे को यादगार बनाने बच्चों के बीच कुछ करें। उन्होने स्थानांतरण के समय फैसला किया कि संविलियन के बाद चार महीने का पूरा वेतन स्कूल को बाउन्ड्रीवाल बनाने को देंगे।  आज स्कूल का बाउन्ड्रीवाल ना केवल बन गया। बल्कि स्कूल प्रबंधन ने शिक्षक अमित के सम्मान में प्रवेश द्वार पर एक शिलालेख भी लगाकर सम्मानित किया है। शिलालेख में मोटे और स्पष्ट अक्षर में अमित नामदेव के योगदान को लिखाया गया है।
           शिक्षाकर्मी नेता अमित कुमार नामदेव ने बताया कि विद्यालय से उनका आठ से नाता है। मैन बच्चों को पढ़ाने का काम यहीं से शुरू किया। बच्चों को पढ़ाकर परिवार को पाला पोसा है। इन आठ सालों में महसूस किया कि विद्यालय की प्रमुख समस्याओं में शाला प्रवेश द्वार का नहीं होना प्रमुख है। बाउंड्री वाल नहीं होने की वजह से विद्यालय में अनुशासन संबंधी समस्या थी। रात्रि होते विद्यालय प्रांगण में आवारा पशुओं और अवांछित तत्वों का जमावड़ा होता था। जिसकी वजह से शाला में छात्र छात्राओं और प्रबंधन को गंदगी क सामना करना पड़ता था। विद्यालय में लगे पौधों को भी हानि होती थी।
                                       अमित ने बताया कि सरकार ने हमे संविलियन का तोहफा दिया। शिक्षक होने के नाते मेरी भी जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों ने असीम प्यार पाने के बाद विद्यालय के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करू। इसलिए संविलियन के पल को यादगार बनाने का फैसला किया। विद्यालय की मुख्य समस्या को खत्म करने का संकल्प लिया। विद्यालय में विशाल प्रवेश के साथ बाउंड्रीवाल बनाने का फैसला किया। विद्यालय के प्रवेश द्वार बनने से आवारा पशुओं का विद्यालय परिसर में प्रवेश रुकेगा…बच्चों में अनुशासन की  प्रवृत्ति बढ़ेगी।
                      विद्यालय के प्राचार्य भानु प्रताप जायसवाल ने बताया कि हमारी शाला की मुख्य समस्या का समाधान शिक्षक अमित नामदेव ने दूर किया है। प्राचार्य ने बताया कि शिक्षक अमित नामदेव विद्यालय में अपनी नियुक्ति से ही विभिन्न क्षेत्रों में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते रहे हैं। छात्र छात्राओं के प्रति उनका लगाव देखते ही बनता था। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बच्चो का मार्गदर्शन किया। समय समय उसका परिणाम भी देखने को मिला। विद्यालय में विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षण में अमित नामदेव का सहयोग कभी भुलाया नहीं जा सकता है। अमित नामदेव ने अपनी रचनात्मक सोच से विद्यालय के विकास में हमेशा सहयोग किया। अब तक हमें मालूम था कि वह होनहार शिक्षक हैं। लेकिन चार महीने का वेतन बच्चों के नाम बाउन्ड्रीवाल के लिए देकर उन्होने अपने विशाल और उदार हृदय का परिचय दिया है। जिसे विद्यालय हमेशा याद रखेगा। याद को अक्षुण्य बनाने के लिए ही हमने उनके नाम का शिलालेख मुख्यद्वार पर लगाया है।
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