क्या..बिना पार्टी सिम्बाल से होगा चुनाव…सत्ता नेताओं में भगदड़….सरकार कर सकती बड़ा फैसला…बढ़ गयी धड़कन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—निकाय चुनाव लड़ने और लड़ाने वालों को सरकार हिचकोले पर हिचकोले दे रही है। उप समिति का गठन कर निकाय चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराने को लेकर रिपोर्ट मांगी गयी है। जानकारी मिल रही है कि सरकार  निकाय चुनाव बिना पार्टी चुनाव चिन्ह के करवाना चाहती है। खबर के बाद लोगों की बेचैनी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है। बताया जा रहा है कि सरकार युवा नेताओं को ध्यान में रखकर फैसला ले सकती है। सरकार के मंसूबों के चलते अब पार्टी के बड़े नेताओं के मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है।

                     दो दिन पहले सरकार ने एक तीन सदस्यीय उप समिति का गठन कर निकाय चुनाव प्रक्रिया को लेकर रिपोर्ट देने को कहा है। समित को 15 अक्टूबर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार फैसला लेगी कि निकाय चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराया जाएगा। समिति गठन के बाद नेताओं में हलचल मच गयी है। भाजपाई खेमा से ज्यादा कांग्रेसी खेमा में भूकंप आ गया है। विधायक और मेयर की टिकट से चूके कांग्रेसी जिन्हें पार्षद लड़ना गवांरा नहीं था अब वही लोग पार्षदी का चुनाव लड़ने के लिए कमरकस लिए है। बताते चलें कि इस प्रकार सोचने वाले ऐसे नेता हैं जो कल तक पार्षद का टिकट बांटा करते थे..इस बार भी अपने समर्थकों के लिए मेहनत कर रहे थे। अब मेयर बनने के लिए वर्तमान में जीते हुए पार्षदों की टिकट काटकर खुद की गोटी बैठा रहे हैं।

                     अब खबर मिल रही है कि सरकार सोच रही है कि अब बिना पार्टी सिम्बाल के पार्षद प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। खबर यह भी मिल रही है कि सरकार ने ऐसा इसलिए सोचना शुरू कर दिया है कि बड़े चेहरे मेयर बनने के लिए जीते हुए पार्षदों और जनाधार वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार पार्षद का चुनाव लड़ना चाहते हैं। इससे पार्टी में अंसतोष स्वभाविक है। सरकार ष पार्टी को असंतोष की आग से बचाने बिना पार्टी चुनाव चिन्ह के निकाय चुनाव कराने का विचार करना शुरू कर दिया है।

                                   जानकारी हो कि यदि सरकार ऐसा सोच समझ रही है तो गलत नहीं है। क्योंकि अकेले बिलासपुर निकाय में ही ऐसे चेहरे अब पार्षद चुनाव लड़ने का फैसला किया है जो कल तक या तो टिकट बांटते थे..या समर्थकों को चुनाव मैदान में उतारते थे। कई चेहरे ऐसे हैं कि जिन्होने विधायक और सांसद का भी टिकट मांगा था। अब पार्षद के रास्ते मेयर का ख्वाब देख रहे थे। ऊपर से खबर मिलना कि निकाय चुनाव पार्टी के सिम्बाल पर नहीं होगा। निश्चित रूप से ऐसे लोगों की जमीन खिसकती हुई दिखाई देने लगी है।

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