जगदलपुर—जनता कांग्रेस सुप्रीमों अजीत जोगी ने जगदलपुर में प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस और भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। जोगी ने कहा कि पिछले पन्द्रह सालों में चित्रकूट विधानसभा के स्वास्थ्य केन्द्रो की हालत बद से बदतर हो चुकी है। डाॅक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के 85 प्रतिशत पद रिक्त है। ऐसा लगता है कि भाजपा और कांग्रेस नेताओं की नजर में चित्रकूट विधानसभा वासियों के जान की कोई कीमत नहीं है।
जगदलपुर के चित्रकोट में अजीत जोगी ने पत्रकारों से बातचीत की। चित्रकोट विधानसभा चुनाव प्रचार करने पहुंचे जोगी ने प्रेस वार्ता में बताया कि पिछळे 15 सालों में शिक्षकों, विशेषकर अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान के शिक्षकों के 77 प्रतिशत अधिक पदों पर भर्तियां नहीं हुई हैं। ऐसा लगता है कि सरकार की नजर में चित्रकोट के नौजवान…शिक्षक भी बनने के योग्यता नहीं रखते हैं।
जोगी ने बताया कि लोहाण्डीगुड़ा, दरभा, बस्तानार विकासखण्ड के नौजवानों के लिए उच्च शिक्षा को लेकर एक भी महाविद्यालय स्थापित नहीं किया गया। क्योंकि सरकार को लगता है कि यहां के नौजवानों को मजदूरी करने के अलावा रोजगार पाने का कोई अधिकार नहीं है। प्रदेश के सबसे कम सिंचित चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में 40 साल से स्वीकृत इंद्रावती नदी पर चित्रकूट और मटनार वृहद सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य आज तक नही प्रारंभ नहीं किया गया। क्या यहां के किसानों को साल में 2-3 फसल उगाने का अधिकार नहीं है?
सवाल जवाब के दौरान जोगी ने पत्रकारों को बताया कि टाटा ने जिस जमीन को अधिगृहित किया । वर्तमान सरकार ने भू-विस्थापितों की जमीन को वापस कर दिया है। सवाल है कि आखिर आज तक किसानों को 13 सालों का मुआवजा क्यों नहीं दिया गया। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार चित्रकूट विधानसभा के 67 प्रतिशत पेयजल के स्त्रोत अमानक पाए गए है। लेकिन आज आज तक यहां की जनता को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में सरकार असफल रही है।
जोगी ने बताया कि आज तक सरकार ने अपने चुनावी वादे के अनुसार माहरा समुदाय को अनुसूची में सम्मिलित क्यों नहीं किया है। सरकार ने आज तक वादे अनुसार 1500 रूप महीना मासिक पेन्शन और 2500 रूपए महीना बेरोज़गारी भत्ता क्यों नहीं दिया है। किसानों का सहकारी बैंक को छोड़ अन्य बैंकों से लिया क़र्ज़ माफ़ क्यों नहीं किया है। सरकार ने पेसा क़ानून की धज्जियाँ उड़ाकर बिना ग्राम सभा की अनुमति बैलाडिला-नगरनार पाइपलाइन, मिचनार बाँध और डिलमिली इस्पात संयंत्र को कैसे अनुमति प्रदान कर दी है? प्रभावितों को मुआवज़ा क्यों नहीं मिला? उनके जल जंगल और जमीन बेचने के लिए आख़िर कितने में सौदा हुआ है।