बिलासपुर—भारतीय जनता पार्टी प्रदेश निकाय चुनाव प्रभारी अमर ने कहा…प्रक्रिया के तहत होगा प्रत्याशियों का चयन..। समितियों का होगा गठन…समितियां बैठक और विमर्श के बाद नाम देंगी। इसके बाद अन्य जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। फिर प्रत्याशियों के नाम का एलान किया जाएगा। अमर ने कहा जब मेयर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष होना निश्चित हुआ है। तो सरकार को निकायों में भी दलबदल कानून को लाना चाहिए। हमें आशंका नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि मेयर और अध्यक्ष चुनाव के समय सरकार हथकंडे अपनाएगी। यही कारण है कि हार से बचने अप्रत्यक्ष चुनाव कराया जा रहा है।
अमर अग्रवाल ने संगठन की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि जल्द ही समितियों का गठन किया जाएगा। समितियां निकायों में जाकर बैठक और विमर्श करेंगी इसके बाद प्रत्याशियों के नाम का एलान किया जाएगा। अमर ने बताया कि नगर पंचायत और नगर पालिका प्रत्याशियों के नाम की अनुशसा मंडल स्तर के बाद जिला समिति के पास पहुंचेगी। नगर निगम पार्षद प्रत्याशी चयन संभागीय समिति करेगी। किसी प्रकार की शिकायत या त्रुटि की शिकायत पार्षद प्रत्याशी अपील समिति में अपनी बातों को रख सकते है। अमर ने कहा कि नियम नहीं है कि आवेदन लिया जाए…बावजूद इसके यदि कोई प्रत्याशी होने के लिए आवेदन देता है तो स्वीकार किया जाएगा। 151 निकायों के लिए जल्द समितियों का गठन और सदस्यों के नाम का एलान किया जाएगा।
सवाल के जवाब में अमर ने कहा कि हमें आशंका नहीं…बल्कि पूरा विश्वाश है कि अप्रत्यक्ष चुनाव में खरीद फरोख्त होगी। हमारी मांग है कि निकाय चुनाव से पहले दलबदल कानून लाया जाए। हमने राज्यपाल से मिलकर अपनी आशंका को जाहिर भी कर दिया है। निवेदन किया है कि अप्रत्यक्ष चुनाव अध्यादेश को स्वीाकार नहीं किया जाए।
मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनोनित पार्षद चुनाव होगा। लेकिन छत्तीसगढ़ में नहीं..हमें जानकारी मिली है कि रविन्द्र चौबे ने मनोनित मेयर और अध्यक्ष के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। हां इस बात की गारंटी नहीं है कि सीएम इस बात को माने। लेकिन हमारे पास विरोध में कई विकल्प हैं। निजी और पार्टी का मानना है कि मेयर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद ही करें। लेकिन हम राज्यपाल से मिलकर प्रत्यक्ष चुनाव की मांग किए है।
पूर्व निकाय मंत्री के अनुसार अफसरों को दबाव में काम नहीं करना चाहिए। उन्हें दलगत भावना से ऊठकर जनता की समस्याओं का निराकर करना चाहिए।यदि सरकार कर्मचारियों और अधिकारियों का सरकारी करण करती है तो ना केवल विरोध करेंगे। बल्कि विरोध के अन्य विकल्पों पर भी विचार करेंगैे।