बिलासपुर— प्रदेश कांग्रेस संगठन ने दीपावली के दो एक दिन पहले सभी जिलों के पदाधिकारियों और विधायक,छाया विधायकों केे लिए ठेठरी खुर्मी और मिठाई का डिब्बा भेजा। बिलासपुर में डिब्बा को आज तक नहीं बांटा गया है। जिसके चलते कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी है। कांग्रेसियों ने कहा कि अब हम सड़ी गली मिठाई नहीं लेंगे।
दो दिन पहले देश प्रदेश में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने एक दूसरे से मिलकर ज्योति पर्व की बधाई दी। इसी क्रम में आम जनता के साथ नेताओं ने भी घर पहुंचकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया। लेकिन प्रदेश कांग्रेस संगठन की तरफ से भेजी गयी ठेठरी खुर्मी का डिब्बा आज तक विधायकों,छाया विधायकों ब्लाक अध्यक्षों समेत छाया पदाधिकारियों तक नहीं पहुंची है।
जानकारी हो कि प्रदेश संगठन ने अपने विधायकों.छाया विधायकों छाया सांसदो,ब्लाक अध्यक्षो,पदाधिकारियों और छाया अध्यक्षकों के लिए दीपावली के दो एक दिन पहले मिठाई से भरा डिब्बा बिलासपुर के लिए भेजा। लेकिन दीपावली बीच जाने के बाद भी डिब्बा ठिकाने तक नहीं पहुंचा है। लोगों में आक्रोश है कि लगता है मिठाई को कहीं ठिकाने लगा दिया गया। यदि ऐसा नहीं किया गया है तो अब हम सड़ी गली मिठाई खाकर बीमार नहीं होना चाहते हैं।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कांग्रेस नेता ने बताया कि पहली बार प्रदेश संगठन ने सीधे तौर पर अपने नेताओं,पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को दीपावली पर्व पर शुभकामनाओं के साथ मिठाई का डिब्बा भेजा। प्रदेश के कमोबेश सभी जिलों में डिब्बों का वितरण कर दिया गया है। लेकिन बिलासपुर में स्थानीय संगठन ने पीसीसी के प्रयासों पर पानी फेर दिया है। जबकि ठेठरी ख्रुर्मी का डिब्बा दीपावली के दो दिन पहले ही आ चुका था। लेकिन डिब्बे का बंटना तो दूर अभी तक ग्रामीण नेताओं की इसकी जानकारी भी नहीं है। इससे जाहिर होता है कि जिला कांग्रेस संगठन की नीयत में खोट है।
कांग्रेस पदाधिकारी ने बताया कि पीसीसी से भेजी गयी मिठाई,ठेठरी, खुर्मी और पप्ची आज भी तिजोरी में बंद है। बंद है या नहीं..या फिर बिना बांटे ही खत्म हो गयी….कहा नहीं जा सकता है। बहरहाल हम लोग कुछ कहेंगे तो बात को बुरा मान लिया जाएगा। यद्यपि मिठाई बहुत बड़ी बात नहीं है। लेकिन इससे स्थानीय संगठन की मंशा जाहिर हो चुकी है। इन छोटी छोटी बातों से सहज ही अनूुमान लगाया जा सकता है कि बिलासपुर संगठन कितना गड्ठा है।
कांग्रेस नेता ने बताया कि शहरी कांग्रेस नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्र के पदाधिकारियों को हमेशा दोयम स्तर का समझा है। सबको जानकारी है कि पीसीसी संगठन का तोहफा शहर में रहने वाले सभी नेताओं तक पहुंच चुका है। इन्ही सब गतिविधियों के चलते ग्रामीण कार्यकर्ता अपने आप को संगठन से दूर समझने लगता है।