बिलासपुर—-सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य का अत्यधिक महत्व है। यानि पर्व में भगवान सूर्य केन्द्र में होते हैं। सूर्य को अर्घ्य दिए बिना छठ उपासना का पूर्ण होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। खरना के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल षष्टी 2 नवंबर को बिलासपुर स्थित अरपा नदी तट पर हजारों की संख्या में छठ माता व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। देश प्रदेश समाज और परिवार के लिए छठ व्रतियों ने सुखद भविष्य की मनोकामना की। जाता है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सभी व्रति घर की तरफ रवाना हुए। दूसरे दिन यानि कार्तिक शुक्ल सप्तमी तीन नवंबर की सुबह सूर्योदय के समय उगते भगवान भास्कर को सूर्य देव को अर्घ्य देंगे।
रविवार को चौथे दिन ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन होगा। सभी छठव्रति घाट पर पहुंचकर सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर अर्घ्य देंगे। इसके बाद शाम को डूबते सूर्य को 5 बजकर 35 मिनट पर अर्घ्य देने के साथ प्रणाम करेंगे।
छठ पूजा और लाभ
छठ पूजा में छठी मैया की आराधना के साथ सूर्य की उपासना होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से भौतिक सुख, समृद्धि और संपदा प्राप्त होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन में सूर्य को प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। सूर्य को विजय और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह माना जाता है। सूर्य आराधना से कार्यक्षेत्र में आशातीत सफलता मिलती है। समस्याओं और बाधाओं का अंत होता है। अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में किसी बात की कमी नही रहती है। स्वास्थ्य, ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। आत्मविश्वास बढ़ता है।
घाट पहुंचकर अतिथियों ने दी बधाई
शनिवार को जिले के दिग्गज नेता और सामाजिक संगठन के स्वनामधन्य लोगों ने घाट पहुंचकर व्रतियों को शुभकामनाएं दी। स्थानीय विधायक शैलेश पाण्डेय ने मौके पर पहुंचकर भगवान भास्कर से जनमानस के लिए आशीर्वाद मांगा। कांग्रेस के साथ भाजपा के अन्य दिग्गजों ने सभी को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दी।