बिलासपुर।शिक्षा विभाग में रुक-रुक के हो रहे बेमौसमी तबादलो से सोशल मीडिया की एक चर्चा आम हो गई है कि शिक्षा विभाग के शैक्षणिक कैलेंडर के समान्तर एक तबादले का कैलेंडर चल रहा है। तबादले का विरोध अब ग्रामीण क्षेत्रो में भी शुरू हो गया है। छात्र भी बीच सत्र में अपने शिक्षको को विदा करना नही चाह रहे है। तबादले के तौर तरीके पर जबरदस्त भड़ास सोशल मीडिया में निकाली जा रही है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्स्स्एप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए
सोशल मीडिया में शिक्षक पैसे लेकर तबादला करवाने वाले को एजेंट और दलाल की संज्ञा दे रहे है। और यह मान रहे है कि शिक्षा विभाग में अब एक नए वर्ग का उदय हो चुका है। जो सत्ता और नोकर शाही के बीच रसूख रखने वाले लोग है इन दलालों ने जिनसे पैसे लिए है उनको दो महीनों से सिर्फ आश्वासन दे रहे है….! उनके दावों की माने तो, इसी हफ्ते में कभी भी शिक्षक संवर्ग के तबादले की सूची जारी हो सकती है।
वही आम शिक्षको को रोजाना आस रहती है कि उनका तबादला जारी हो ताकि वे अपने गृह ग्राम की ओर हो जा सके। इसलिए वे खबरों में बने हुए है।
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सोशल मीडिया के एक ग्रुप में कुछ लोग दावा कर रहे है कि उनके दलालों ने उन्हें बताया है , कि तबादलों की फाइल प्रदेश के मुखिया के टेबल में पड़ी हुई है। मुखिया के व्यस्त होने की वजह से यह फाइल अटकी हुई है। वहीं कुछ दलालों का कहना है कि आगामी सत्र की प्रश्नोत्तरी के जवाब बनाने में विभाग के कर्मचारियों के व्यस्त रहने की वजह से भी आगामी तबादले की सूची जारी नहीं हो पा रही है। दलालों का यह भी कहना है, आचार संहिता लगने से ग्रामीण इलाकों के स्कूलो के तबादले से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला तबादले होते रहेंगे।
सोशल मीडिया में यह भी कहा जा रहा है, कि साउथ फिल्मों के जैसे छात्रो के हितों को ध्यान में रखने वाले अफसरो का मत …. बीच शिक्षण सत्र में शिक्षको के तबादले आदेश जारी करने के पक्ष में नही है। इसे लेकर विभाग में तीखी बहस भी हो चुकी है।
अधिकारियों पर गड़बड़ियों का ठिकारा फोड़ने के बाद से इस विभाग के मंत्री के निर्णय को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया है। कागजी कार्यवाही करके अंतिम निर्णय प्रदेश के मुखिया पर छोड़ दिया गया है। क्योकि विभाग के मंत्री की स्थिति भी इस विषय मे रामचरित मानस में कही गई चौपाई में …. भइ गति साँप-छछूँदर केरी लोकोक्ति के जैसी हो गई है।
इसके अनुसार छछूंदर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यदि सांप उसे निगल ले तो या तो वह अन्धा हो जाता है या फिर मर जाता है…. कहते है कि छछुन्दर के दांतों की बनावट के कारण सांप , छछूंदर को बाहर उगल भी नहीं सकता और मरने के डर वह उसे निगलना भी नहीं चाहता। ऐसी परिस्थिति इस विभाग के मंत्री की चल रही है।
तबादले के लिए जनपदों के प्रतिनिधियों से लेकर पार्षद प्रत्याशी के दावेदारों तक के नेताओं के फोन और मंत्रियों विधायको की अनुशंसा की सूची के बाद भी तबादले के आदेश नही जारी होने से नराजगी तो पार्टी के भीतर बहुत ज्यादा है। आने वाले कुछ दिनों में निकाय चुनाव के बाद पंचायत चुनाव होने है। इसलिये सब अब आल इज वेल ही कह रहे है।
शिक्षा विभाग में नई उपज दलालों की पैठ के आगे मीडिया हाउस के सूत्र भी फेल हो रहे है। इस विभाग से जुड़े बड़े अधिकारियों को जितना शिक्षा कर्मीयो के तबादलो के बारे में जानकारी नही है उससे अधिक खोज खबर विभाग के समानान्तर खड़ी हुई नई उपज के पास है।
इसी वजह से शिक्षा विभाग का रायता पूरे प्रदेश में फैला हुआ है।सभी को पता है कि शिक्षा कर्मीयो के और तबादले में चले गुलाबी और हरे कागजो बंडलों की माया का कितना महत्व था। स्थानांतरण के पीड़ित अब इंतजार कर रहे है कि विपक्ष इस मुद्दे को कैसे जनता के सामने लाता है।