निगम के 5 साल..किशोर तो कहीं वाणी आगे…दोनों ने पूरा नहीं किया टारगेट

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— मेयर किशोर राय का कार्यकाल एक महीने बाद खत्म हो जाएगा। निकाय चुनाव के बाद कोई नया मेयर बनेगा। मेयर और पार्षदों का वर्तमान कार्यकाल दिसम्बर में पुरा हो जाएगा। दिसम्बर 2014 में कांग्रेस नेत्री वाणी राव के बाद भाजपा के किशोर राय मेयर बने।चुनाव में भाजपा पार्षदों को सर्वाधिक संख्या में जीत हासिल हुई। बावजूद इसके  कांग्रेस की वाणी राव और भाजपा के किशोर राय का कार्यकाल एक सा ही नजर आया। लेकिन किशोर राय के कार्यकाल में सामान्य सभा की सर्वाधिक बैठक हुई।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

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                           दिसम्बर 2014 में किशोर राय ने सर्वाधिक मतों से जीतकर मेयर के पद संभाला। अब पांच साल बाद फिर मेयर और पार्षदों का चुनाव दिसम्बर में होने वाला है। लेकिन इस बार जनता मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से करेगी। जीकर आए पार्षदों के बीच से ही कोई एक सर्वसम्मति के बाद मेयर बनेगा। 

                    बीते 10 सालों में जनता ने कांग्रेसी मेयर वाणी राव और भाजपा मेयर किशोर राय का कार्यकाल देखा। लोगों ने दोनों का कार्यकाल कमोबेश एक जैसा ही महसूस किया। लेकिन किशोर राय के कार्यकाल में बिलासपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला। स्वच्छता अभियान में बिलासपुर को देश में 23 स्थान हासिल हुआ। निगम सीमा का विस्तार होने के साथ बिलासपुर को रायपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा निगम का दर्जा हासिल हुआ। वार्डों की संख्या बढ़कर 66 से 70 हो गयी ।

                    जानकारी के अनुसार मेयर किशोर राय के कार्यकाल में कुल 17 सामान्य सभा का आयोजन किया गया। इसके अलावा 07 विशेष सभा का आयोजन हुआ। इस दौारन कई गंभीर मसलों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जन सरोकार के मुद्दों को लेकर गहमा गहमी के बीच चर्चा हुई। जबकि कांग्रेस नेत्री वाणीराव के कार्यकाल में कुल 15 सामान्य सभा की बैठक हुई। पार्षदों की मांग पर 9 विशेष सम्मेलन का आयोजन हुआ। कुल मिलाकर जहां किशोर राय के कार्यकाल में सर्वाधिक 17 सामान्य सभा की बैठकें हुई तो वाणी राव के कार्यकाल में सर्वाधिक 9 बार विशेष सभा का आयोजन किया गया। 

टारगेट से दोनों मेयर कोसो दूर

                      नगरीय निकाय पंचार्ट के अनुसार निगम प्रशासन को प्रत्येक दो महीने में एक बार सामान्य सभा की बैठक करना जरूरी है। साल में 6 बार सामान्य की बैठक होनी चाहिए। नियमानुसार पांच साल में निगम प्रशासन को कुल तीस सामान्य सभा की बैठक का आयोजन  करना होगा। लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो वाणी राव और किशोर राय के कुल दस साल के कार्यकाल में मात्र 32 बार ही सामान्य सभा का आयोजन किया गया। जबकि दस साल सामान्य सभा की 60 बैठकें होनी चाहिए थी। लेकिन दोनों मेयर ने अपने अपने कार्यकाल में बमुश्किल से आधा संख्या में ही सामान्य सभा को संबोधित किया। वाणी राव ने पांच साल में कुल 30 सामान्य सभा की जगह 15 और किशोर राय के पांच के कार्यक्रम में पचास प्रतिशत से थोड़ा अधिक यानी 17 सामान्य सभा की बैठकें हुई।

 विशेष सभा में किशोर पर वाणी भारी

                वाणी राव के पांच साल के कार्यकाल में कुल 9 विशेष सभा का आयोजन किया गया। जबकि किशोर राय के कार्यकाल में कुल 7 विशेष सभा हुई। इस दौरान विशेष मुद्दों पर विशेष तरीके से गहमा गहमी के बीच पक्ष और विपक्ष में जनहित मुद्दों को लेकर चर्चा हुई।

क्या है सामान्य सभा और विशेष सभा बुलाने का नियम

                         नगरीय निकाय अधिनियम के अनुसार हर दो महीने में एक सामान्य सभा की बैठक का आयोजन होना चाहिए। साल में 6 बार और पांच साल में तीस सामान्य सभा की बैठक होगी। सभापति,मेयर और आयुक्त की अनुमति के बाद पार्षदों को निगम सचिव सामान्य सभा बैठक की जानकारी तीन दिन पहले सभी पार्षदों को नोटिस भेजकर देता है। जबकि विशेष सभा का आयोजन विशेष नियम के तहत किया जाता है।  सभापति,मेयर और आयुक्त के निर्देश के मामले की जानकारी निगम सचिव सात दिन पहले सभी पार्षदों को नोटिस के माध्यम से देता है।

पहली बार प्रश्न उत्तर और शून्यकाल की परंपरा

                       साल 2016 में राज्य शासन ने लोकसभा और विधानसभा की तर्ज पर निगम सदन की कार्रवाई कराने का फैसला किया। निकाय अधिनियम में संशोधन कर निगम में भी शून्य काल और प्रश्नोत्तरी करने का फैसला लिया गया। प्रदेश के अन्य निगमों की तरह बिलासपुर नगर निगम में भी शून्यकाल और प्रश्न पूछने की परंपरा शुरू हुई। प्रक्रिया के लागू होने के बाद साल 2016 में कुल पांच सामान्य सभा और तीन विशेष सभा का आयोजन किया गया। 

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