(संजय दीक्षित) मंदी का असर बाजार एवं उद्योग पर ही नहीं पड़ा है। ट्रांसफर, पोस्टिंग का रेट भी गिर गया है। इतना कि आप हैरान रह जाएंगे। 25 से 50 हजार रुपए वाले ट्रांसफर अब 10 हजार पर आ गए हैं। खास कर नए और कमजोर विभाग वाले मंत्रियों का कोई रेट नहीं है। जो मिल गया, उसी को मुकद्दर समझ लिया….। इसकी एक बानगी सुन लीजिए। एक नए मंत्री के बेटे ने क्लास थ्री के एक इम्पलाई के ट्रांसफर के लिए 10 हजार रुपए ले लिया। लेकिन फाइल जाकर मंत्रालय में अटक गई। अब, मंत्रीपुत्र परेशान। पापा से बार-बार सिकरेट्री को फोन लगवाए। सिकरेट्री भी कम नहींे। मंत्री पुत्र के उतावलापन देखकर कर्मचारी को बुलाकर पूछा, तो समझ में आया कि मंदी की क्या स्थिति है।
मां की अधुरी ख्वाहिश
आईपीएस के कैडर रिव्यू में भले ही देरी हो रही है मगर इससे पहले छत्तीसगढ़ को तीन आईपीएस और मिल जाएंगे। 30 अक्टूबर को तीन पदों के लिए डीपीसी होने जा रही है। इनमें प्रखर पाण्डेय, मनीष शर्मा और सुजीत कुमार का नाम सबसे उपर है। हालांकि, नियमानुसार डीपीसी के लिए राज्य पुलिस सेवा के नौ सीनियर अफसरों के नाम मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर को भेजे गए हैं। मगर सर्विस और रिकार्ड को देखते उक्त तीनों का आईपीएस अवार्ड होना तय है। मगर अफसोस! प्रखर पाण्डेय की मां का 15 अक्टूबर को देहावसान हो गया। बेटे को आईपीएस का तमगा मिलने के केवल 15 दिन पहले। काश! लालफीताशाही के चलते इसमें विलंब नहीं हुआ होता। तो बेटे की खुशी दुगनी होती। और, मां की इच्छा भी पूरी हो गई होती। लेकिन, राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को कौन पूछने वाला है। प्रखर पाण्डेय अगर आईएएस होते तो टाईम से छह महीने, साल भर पहिले केंद्र से स्पेशल अनुमति लेकर प्रमोशन हो गया होता।
रमन की चाय पार्टी
सीएम डा0 रमन सिंह ने सोमवार को शाम राजधानी के प्रिट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के चुनिंदा पत्रकारों के साथ चाय पर गपशप किया। सीएम हाउस में करीब पौने दो घंटे तक चली हाई टी पार्टी में खूब ठहाके लगेे। सीएम भी फ्री मूड में थे। सूबे में हाथी की बढ़ती समस्या के बारे में जब वे बता रहे थे कि किस तरह चावल की खुश्बू के चलते हाथी बस्तियों में घुस आते हैं। इस पर पत्रकारों ने पूछा, क्या इसे भी आप पीडीएस की सफलता से जोड़ रहे हैं क्या? इस पर सीएम भी ठहाके लगाने से नहीें रोक सकें। सीएम से जब यह पूछा गया कि दूसरी पारी के आखिरी दौर में वे न्यू रायपुर में मंत्रालय शिफ्थ किए थे, क्या तीसरी पारी के अंत तक सीएम हाउस समेत मंत्रियों के बंगले न्यू रायपुर में रोशन हो जाएंगे, सीएम के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। बोले, चैथी पारी में ही संभव हो पाएगा…..अब, हम आए या कोई दूसरा। अरसे बाद सीएम मीडिया प्रमुखों से खुलकर मुखातिब हुए और इत्मीनान के साथ।
कांग्रेस का सांभा
कांग्रेस के जय-वीरु के बीच खटपट बढ़ने की वजह सांभा बताया जा रहा है। याद होगा, सांभा ने वीरु को नाश्ते पर बुलाया था। इसके बाद जय-वीरु के बीच की खाई और चैड़ी हो गई। हालांकि, ऐसा नहीं है कि वीरु और सांभा के बीच कोई राजनीतिक खिचड़ी पक रही है। दोनों की दुश्मनी जाहिर है। उनका मकसद सिर्फ जय को मैसेज देना था। उसमें वे पूरी तरह कामयाब रहे। किन्तु इस एपीसोड में नुकसान वीरु का हो रहा है। पहले जय-वीरु साथ निकलते थे। जाहिर है, दोनों मीडिया के फोकस में होते थे। जब से जोड़ी बिखरी है, जय अकेले ही दौरे पर निकल रहे हैं। ऐसे में, वीरु का अखबार और टीवी से गायब होना लाजिमी है। इसका पूरा फायदा जय का मिल रहा है। पहले माना जाता था कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस को दो नेता लीड कर रहे हैं। लेकिन अब चारो ओर जय ही जय हैं।
दाग धूला
पीएससी के पुराने दाग पीएससी ने ही धो दिया। इंटरव्यू के मात्र पांच घंटे बाद रिजल्ट निकाल कर। डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी वाली परीक्षा का इंटरव्यू दोपहर दो बजे खतम हुआ और शाम सात बजे रिजल्ट नेट पर था। ऐसा किसी स्टेट में नहीं कभी नहीं हुआ। आमतौर पर कितना भी जल्दी करें, 15 से 20 दिन लग ही जाता है। छत्तीसगढ पीएससी के अफसरों से अब हरियाणा, यूपी, झारखंड पीएससी वाले फोन लगा कर पूछ रहे हैं कि ऐसा कौन सा साफ्टवेयर बनवाया कि रिजल्ट का कीर्तिमान बना दिया छत्तीसगढ़ ने। सब विश्वकर्मा भगवान का कमाल है। सरकार ने जब से विश्वकर्माजी को पीएससी में विराजित किया है गाड़ी पटरी पर आ गई है। वरना, हर बार पीएससी की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती थी।
हफ्ते का मैसेज
एक अमीर परिवार की महिला साड़ी की दुकान पर जाकर कहती है, हल्की साड़ी बताओ, मेरे बेटे की शादी है, मुझे कामवाली बाई को देनी है। महिला साड़ी लेकर चली जाती है। कुछ समय बाद कामवाली बाई साड़ी की दुकान पर आकर कहती है, महंगी साड़ी बताओ, मेरी मालकिन के बेटे की शादी है और मुझे उन्हें भेंट देनी है। अब जरा सोचिए, दोनों में से अमीर कौन है।