रायपुर।शिक्षाकर्मियों के मांगो का समर्थन करने वाले आईएएस अधिकारी से नेता बने ओपी चौधरी पर छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष एवँ शिक्षाकर्मी नेता जाकेश साहू ने करारा हमला बोलते हुए कहा है कि ओपी चौधरी को शिक्षाकर्मियों के नाम पर राजनीति करने का रत्ती भर भी नैतिक अधिकार नहीं है।शिक्षाकर्मी नेता जाकेश साहू ने कहा कि आज शिक्षाकर्मियों के मांगो का मीडिया में समर्थन करने वाले ये वही ओपी चौधरी है जो नवम्बर-दिसम्बर 2017-18 में संविलियन आंदोलन के दौरान उस समय राजधानी रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर थे।
जिसने रायपुर नगर-निगम के सभी बाथरूमो में ताला लगवा दिए थे जिससे कि आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मी माताएं एवँ बहने पानी-पेशाब और यंहा तक कि बाथरूम भी न जा सके।आज तक हमने अपने जीवन मे कई आंदोलन देखे और सुने है परंतु 2017-18 का संविलियन आंदोलन हमारे जीवन मे ऐसा पहला आंदोलन था जिसमे किसी तत्कालीन जिला कलेक्टर ने राज्य सरकार के नजरो में चढ़ने और सरकार से वाहवाही लूटने के लिए सारी मानवीय नैतिकता व मानव सभ्यता का गला घोंट दिया हो।
भारत देश व किसी राज्य के इतिहास ने ऐसी पहली घटना हुई होगी जब किसी शिक्षक आंदोलन के दौरान शिक्षक एवँ शिक्षिका बहनो के पानी पेशाब एवँ बाथरूम जाने पर भी रोक लगाई गई हो।जाकेश साहू ने कहा कि व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी या राजनेता बन गया हो परन्तु उसे नैतिकता और मानवता बिल्कुल भी नहीं भूलनी चाहिए। चूंकि हमे वो मंजर आज भी याद है जब हम वर्षो से अपनी जायज मांग, हक, अधिकार व संविलियन के लिए, अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे थे जिसे तोड़ने के लिए एक कलेक्टर स्तर का अधिकारी सारी नैतिकता को ताक पर रखकर बाथरूम में भी ताला लगवा दिए थे जिससे कि आंदोलनकारी मानशिक रूप से टूट जाए और आंदोलन खत्म हो जाएं।
ये तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी ही थे जिसने हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए आंदोलन के नेतृत्वकर्ता शीर्ष नेताओं को रात को 12 बजे जेल से निकालकर राज्य सरकार से गुपचुप सेटिंग व वार्ता कराए तथा प्रदेशभर के हजारों आम शिक्षाकर्मी साथियो के भविष्य से कुठाराघात करते हुए शिक्षाकर्मियों के सबसे बड़े आंदोलन को रातों-रात तोड़वा दिए।
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यदि आंदोलन को रातों रात नहीं तोड़ा गया होता तो दूसरे दिन कांग्रेस पार्टी का प्रदेश बन्द सफल हुआ रहता, राज्य सरकार दबाव में आती और हमारी मांगो को लेकर सरकार से पूरी बातचीत व समझौता होता।
रातों रात आंदोलन को तोड़ने के वजह से प्रदेशभर के 1,09,000 प्राथमिक शिक्षको को क्रमोन्नति वेतनमान नहीं दिया गया तथा सिर्फ वर्ग एक व वर्ग दो के ही शिक्षाकर्मियों की मांगें पूरी की गई क्योकि वँहा वर्ग एक व वर्ग दो के नेता ही आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे।
इस प्रकार 2017-18 के आंदोलन को रातों रात खत्म कराने व आंदोलन को तोड़ने के लिए बाथरूम में ताले लगवाने वाले तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी ही थे जिसने शिक्षाकर्मी मां बहनो व बेटियों को आंदोलन के दौरान पानी पेशाब जाने से भी रोका और आज ये जब राज्य में विपक्ष पार्टी में नेतागिरी कर रहे है तब अपनी राजनीति चमकाने के लिए शिक्षाकर्मियों की मांगो को मीडिया में उठाकर शिक्षको का हमदर्द बनना चाहते है जिसका कि नैतिक अधिकार ओपी चौधरी खो चुके है।
आंदोलन के दौरान राजधानी के टॉयलेट में ताला लगवाकर जिन शिक्षाकर्मियों को पानी-पेशाब जाने से रोका गया था उन्ही शिक्षाकर्मी भाई एवँ बहनो की बद्दुआ व श्राप के कारण ओपी चौधरी को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। ओपी चौधरी को अपने इस अनैतिक कार्य के लिए प्रदेश के हजारों शिक्षाकर्मियों से माफी मांगते हुए प्रायश्चित करनी चाहिए।