बुरी खबर!कैग (CAG) की रिपोर्ट, नेट रिवेन्यू सरप्लस में आई बड़ी गिरावट, रेलवे का प्रदर्शन भी खराब

Shri Mi
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नई दिल्ली-देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है. देश आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है. इस बीच सीएजी (CAG) की रिपोर्ट सामने आई है. इसमें भी अच्छी खबर नहीं है. कैग रिपोर्ट के मुताबिक नेट रिवेन्यू सरप्लस में गिरावट आई है.  कैग (CAG) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय साल 2016-17 में नेट रेवेन्यू सरप्लस 4,913.00 करोड़ रुपए से घटकर वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,665.61 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है. नेट रेवेन्यू सरप्लस में 66.10 प्रतिशत की गिरावट आई है. सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने यहां क्लिक करे

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वहीं 2017-18 में टोटल कैपिटल एक्सपेंडिचर में आंतरिक संसाधनों की हिस्सेदारी भी घटकर 3.01% रह गई है. रेलवे के लिए जारी कैग रिपोर्ट में भी अच्छी खबर नहीं है. भारतीय रेल का परिचालन अनुपात (ओआर) वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया जो पिछले 10 वर्षो में सबसे खराब है. रेलवे में इस परिचालन अनुपात (ओआर) का तात्पर्य यह है कि रेलवे ने 100 रूपये कमाने के लिये 98.44 रूपये व्यय किये.

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण पिछले वर्ष 7.63 प्रतिशत संचालन व्यय की तुलना में उच्च वृद्धि दर का 10.29 प्रतिशत होना है.

इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009-10 में 95.28 प्रतिशत, 2010-11 में 94.59 प्रतिशत, 2011-12 में 94.85 प्रतिशत, 2012-13 में 90.19 प्रतिशत, 2013-14 में 93.6 प्रतिशत, 2014-15 में 91.25 प्रतिशत, 2015-16 में 90.49 प्रतिशत, 2016-17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया.

कैग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता रोकी जा सके. इसमें सिफारिश की गई है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल द्वारा वहन किए गए पूंजीगत व्यय में कटौती हुई है.

रेलवे पिछले दो वर्ष में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए धन को खर्च नहीं कर सका. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे बाजार से प्राप्त निधियों का पूर्ण रूप से उपयोग करना सुनिश्चित करे.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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