विधायक ने जब रखा प्रस्ताव..एक चेहरा खुश..दूसरा चुप..पढ़ें..संभावित मेयर वाले पार्षदों की टिकट में क्यों फंसा पेंच..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुरः सोमवार को देर रात नगर निगम चुनाव प्रभारी वरिष्ठ कांग्रेस नेता धनेन्द्र साहू ने 41 नाम की सूची पर मुहर लगा दिया। इसके बाद साहू देर रात्रि रायपुर के लिए रवाना भी हो गए। अपने पीछे ले गए ऐसे 29 वार्डों की सूची जिसका निराकरण बिलासपुर में होना संभव नहीं था। इनमें ज्यादातर वार्ड ब्लाक क्रमांक 2 और तीन के हैं। बताया जा रहा है कि इन वार्डों से कांग्रेस के सर्वाधिक संभावित मेयर दावेदारों का नामहै। क्योंकि होल्ड किए वार्डो में पमुख नाम चीका वाजपेयी,नरेन्द्र बोलर, वसंन्त शर्मा, विजय पाण्डेय, महेश दुबे समेत राजेश पाण्डेय जैसे कद्दावर नेताओं का है।

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               सोमवार को 5 घंटे चली धनेन्द्र साहू की जंगी बैठक में बिलासपुर निगम के 70 में से 41 नामों पर आम सहमति बनी। बाकी 29 वार्डों में रायशुमारी काम नहीं आयी। अन्त बिलासपुर नगर निगम प्रभारी ने बाकी वार्डों का निराकरण आपसी सामन्जस्य के साथ रायपुर से करने का एलान किया। 51 सदस्यीय कमेटी की बैठक पांच घंटे हुई। इस दौरान कई नाटकीय घटनाक्रम भी देखने को मिला। किसी ने किसी के समर्थन में नाम वापस लेने की बात कही..तो किसी ने इसका विरोध किया। विधायक बिलासपुर ने एक ऐसा प्रस्ताव लाया…जो एक अध्यक्ष को खुशी दे गयी तो दूसरे ने ना हां कहा और ना ही नां कहा।

एमएलए का प्रस्ताव..एक चुप दूसरा खुश

                   सोमवार को हुई बैठक में धनेन्द्र साहू के सामने ब्लाकबार वार्ड प्रत्याशियों की सूची को ब्लाक प्रभारियों ने पेश किया। इस दौरान जिले के दिग्गज कांग्रेसी मौजूद थे। प्रत्याशियों को लेकर चर्चा के दौरान एमएलए शैलेश पाण्डेय ने एक प्रस्ताव पेश किया। विधायक ने कहा कांग्रेस जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी चुनाव लड़ना चाहते हैं। वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए मैं उनका नाम वार्ड क्रमांक 52 से प्रस्तावित करता हूं। सभी ने ताली बजाकर स्वागत किया। मौका देखते ही जिला शहर अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर ने भी दांव खेला। उन्होने बैठक में उठकर कहा कि बेहतर होता कि विधायक महोदय दूसरे अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव करते। इतना सुनते ही विधायक शैलेश ने तत्काल कहा कि क्यों नहीं। मैं शहर अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव वार्ड क्रमांक 34 से करता हूं। इतना सुनते ही सारे दाव उलट गए। नरेन्द्र बोलर चुपचाप कुर्सी पर बैठ गए। उन्होने कुछ भई नहीं कहा कि वह 34 से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। 

               बताते चलें कि नरेद्र् बोलर ने वार्ड क्रमांक 33 से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। यह जानते हुए भी वार्ड क्रमांक 33 से विधायक के नजदीकी शैलेन्द्र जायसवाल पहले से ही दावेदारी की है। वार्ड को लेकर जिला शहर अध्यक्ष और विधायक खेमें शीतयुद्ध जैसा माहौल है। नरेन्द्र बोलर ने समय समय पर कहा भी है कि इस वार्ड से चुनाव लड़ चुका हूं। उन्होने ही शैलेन्द्र को वार्ड दिया। इसलिए यहां से ही चुनाव लड़ेंगे। दूसरी तरफ विधायक खेमे से यह बात भी सामने आ रही है कि बेशक नरेन्द्र बोलर यहां से एक बार चुनाव लड़े है। लेकिन उन्हें हार मिली है। शैलेन्द्र ने ही भाजपा को हराकर वार्ड को कांग्रेसमय बनाया है। बहरहाल नरेन्द्र ने प्रस्ताव का जवाब अभी तक नहीं दिया है कि क्या वह निगम के सबसे बड़े वार्ड से चुनाव लड़ेंगे।

29 वार्डों का क्यों नहीं हुआ फैसला

          होल्ड किए गए ज्यादातर वार्ड बिलासपुर नगर निगम मध्य क्षेत्र के हैं। इन वार्डों में ऐसे दिग्गजों का नाम है..यदि अप्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता तो शायद इन्ही में से कोई ना कोई कांग्रेस पार्टी से महापौर का दावेदार होता। और कुछ ऐसे भी नाम है जिनका वार्ड परिसीमन के बाद आरक्षण का भेंट चढ़ गया है। अब दूसरे वार्ड से दावेदारी कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर वार्ड वर्तमान कांग्रेसी पार्षदों के ही हैं। मतलब वर्तमान पार्षदों की इन वार्डों से पत्ता कटना तय माना जा रहा है।  जानकारी हो कि क्रमांक 5, 6 7,24, 27, 28. 30 31 32 33 34,36, 37, 39, 40 , 44, 49, 50, 57, 58, 60, 61, 62, 63, 64, 65, 66, 67 और 69 आम सहमति नहीं बनने तक रोका गया है।

कई वार्ड सभावित मेयरों का बना अखाड़ा

                           जानकारी हो कि निगम विस्तार के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के वार्डों का फैसला आसानी हो गया। लेकिन बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में कमोबेश आधा दर्जन से अधिक वार्डों का फैसला अभी तक नहीं हुआ है। कुछ ऐसा ही शहर के मध्यक्षेत्र के वार्डों की हालत । यहां या तो संभावित मेयर दावेदारों की दावेदारी आमसहमति में सबसे बड़ा रोड़ा है। इन वार्डों में कुछ ऐसे चेहरे हैं जो चुनाव तो नहीं लड़ रहे लेकिन अपने आदमियों को मेयर जरूर बनाना चाहते हैं। वहीं यहां से पुराने पार्षद सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। वर्तमान पार्षदों का तर्क है कि सिर्फ मेयर के लिए हम अपनी सीट दुसरे को देने को तैयार नहीं है।

            जानकारी हो कि वार्ड क्रमांक 31 लालालाजपत नगर से दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त है। यहां से चीका वाजपेयी, तैय्यब, मुकीम कुरैशी, जावेद मेमन, फराज खान, शेखर मदलियर, शहजादी कुरैशी, अखिलेश वाजपेयी, चुट्टू अवस्थी, संदीप वाजपेयी, शास्वत तिवारी,अकबर खान नदीम बख्श समेत कई लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसी सबसे सुरक्षित समझे जाने वाला वार्ड 31 भी विवादों का केन्द्र बन गया है। शैलेन्द्र जायसवाल यहां वर्तमान पार्षद हैं। यहां से नरेन्द्र बोलर, विजय पाण्डे. और विकास दुबे चुनाव लड़ना चाहते हैं। सोमवार को बैठक में यद्यपि विजय ने नरेन्द्र बोलर के समर्थन में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। लेकिन विधायक ने शैलेन्द्र के समर्थन में बोलर को वार्ड 34 से लड़ने का प्रस्ताव दिया।

               वार्ड 36 से कल तक दावेदारी कर रहे ब्लाक 2 के अध्यक्ष अरविन्द शुक्ला अब पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि यहां सिंहदेव समर्थक पप्पू वाजपेयी को उतारा जा सकता है। इसकी वह भाजपा नेता बन्धु मौर्य को बताया जा रहा है। वार्ड 30 के लिए बैठक में रायशुमारी बनाने का प्रयास किया गया। लेकिन धनेन्द्र साहू को कामयाबी नहीं मिली। यद्यपि विजय पाण्डेय ने जरूर एलान किया कि यहां से राजेश पाण्डेय दावेदारी नहीं करेंगे। लेकिन लोगों ने इसका विरोध किया। यहां से वर्तमान पार्षद दीपांशु श्रीवास्तव हैं। महेश दुबे यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वार्ड क्रमांक 34 की भी यही स्थिति है। यहां से बहुत कम कांग्रेसी चुनाव लड़ना चाहते हैं।  वार्ड बड़ा भी है। बताया जा रहा है कि रिप्लेस करने वाला व्यक्ति सामने वाले को वार्ड 34 से लड़ने की सलाह दे तो रहा है। लेकिन खुद वहां से बचना चाहता है। कुल मिलाकर दिग्गजों की नामों पर पेंच फंस गया है। इसे अब रायपुर में ही निकाला जाएगा।

कांग्रेस रणनीति पर भाजपा की नजर

             बहुत कुछ संभावना है कि भाजपा की अधिकतर प्रत्याशियों के नाम का एलान मंगलवार शाम तक कर दिया जाएगा। लेकिन उन सीटों का फैसला एक दिन बाद होगा जिसे कांग्रेस ने होल्ड कर रखा है। कांग्रेस जब होल्ड सीट का पत्ता खोलेगी। इसके बाद ही भाजपा अपने बचे हुए प्रत्याशिय़ों के नाम का एलान कर सकती है। यदि रणनीति में किसी प्रकार की बदलाव नहीं हुआ तो भाजपा अपने कुछ सीटों का एलान पांच दिसम्बर को ही करेगी।            

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