अवैध रूप से उत्खनन एवं परिवहन करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई,गौण खनिज नियम 2015 में संशोधन

Chief Editor
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बिलासपुर।छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गौण खनिज नियम 2015 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन से, ऐसे उत्खनिपट्टेधारी जिन्होंने पूर्व निर्धारित समय में प्रथम स्वीकृति दिनांक से 30 वर्ष के लिये उत्खनिपट्टा का विस्तार नहीं करा पाया है। उन्हें अवधि विस्तार करने का एक अवसर मिल गया है। साथ ही निर्माण कार्यों में पूर्व स्वीकृत एवं संचालित उत्खनिपट्टों से ही खनिज प्राप्त कर निर्माण कार्यों में उपयोग का रास्ता आसान हो गया है। इससे पट्टाधारियों को सीधे लाभ मिलेगा।उप संचालक खनिज प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार गौण खनिज नियम 2015 में संशोधन किया गया है। संशोधन में पूर्व से स्वीकृत उत्खनिपट्टों में अवधि बढ़ाते हुए समय सीमा 31 दिसम्बर 2020 तक कर दी गई है। पूर्व में 2 वर्ष की समय सीमा रखी गई थी।ऐसे पट्टाधारी जिनकी 30 वर्ष की समयावधि समाप्त हो रही है, उन्हें पट्टा क्षेत्र में खनिज उपलब्ध होने पर शासन द्वारा निर्धारित प्रीमियम राशि की भुगतान के शर्त पर अधिकतम 5 वर्ष की अवधि हेतु पट्टे के लिये पूर्व निर्धारित शर्तों के साथ केवल एक बार के लिये पट्टे की समयावधि में विस्तार किया जा सकेगा।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक कीजिये 

शासकीय भूमि के मामलों में उत्खनन पट्टा स्वीकृति के लिये ई-नीलामी, ई-निविदा प्रक्रिया से अधिमानी बोलीदार का चयन किया जाएगा, लेकिन निजी भूमि के मामलों में शासन द्वारा निर्धारित दर पर आवेदक से प्रीमियम राशि लेकर स्वीकृति का प्रावधान किया गया है। ई-नीलामी, ई-निविदा प्रक्रिया से स्वीकृत उत्खनिपट्टा में पट्टेदारों से ली जा रही प्रीमियम की राशि में प्रतिवर्ष वृद्धि का प्रावधान है। गौण खनिजों में पट्टेदारों की मृत्यु उपरांत उनके विधिक वारिसान को पट्टा अंतरित किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में गौण खनिजों के 10-12 खदानें समूह में संचालित है,

वहां से 25 किलोमीटर की परिधि तक एवं जहां 20 से अधिक खदानें समूह में संचालित हैं, वहां से 50 किलोमीटर की परिधि में अनुज्ञा पत्र स्वीकृत नहीं किये जायेंगे। गौण खनिजों के अवैध परिवहन एवं उत्खनन पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने हेतु गौण खनिज नियम 71 में व्यापक संशोधन करते हुए इसमें खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 21 से 23 ख के प्रावधानों के तहत प्रकरण दर्ज किये जायेंगे। प्रावधानों के तहत ही किसी व्यक्ति के द्वारा खनिज का परिवहन एवं भंडारण करना अथवा करवाना अनिवार्य है।

इनका उल्लंघन किये जाने पर न्यायालय द्वारा 5 वर्ष का कारावास या 5 लाख रूपये जुर्माना अथवा दोनों किये जाने का प्रावधान है। वर्तमान में यह केवल मुख्य खनिजों जैसे कोयला, आयरनओर, बाॅक्साईट जैसे खनिज पर ही लागू था, अब इसे गौण खनिजों के मामलों में भी लागू कर दिया गया है। विभिन्न विभागों के द्वारा करवाये जा रहे निर्माण कार्यों में उपयोगी खनिज की वैधता खनिज विभाग से प्रमाणित करने के बाद, रायल्टी चुकता प्रमाण पत्र प्राप्त कर संबंधित विभाग को जमा करने के पश्चात ही ठेकेदारों को उनके अंतिम बिलों का भुगतान करने के निर्देश दिये गये हैं।

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