एरियर्स के लिए भटक रहे शिक्षाकर्मी…एक मामले में कोर्ट के आदेश के बाद हरकत में आया विभाग..शिक्षकों ने कहा-चल रहा कमीशन के खेल…

Chief Editor
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संविलयन के बाद शिक्षक बने शिक्षा कर्मियों के अपने एरियर्स के लिए भटकना पड़ रहा है। लोग दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन राहत नहीं मिल पा रही है। कुछ जिलों मे एरियर्स के नाम पर कमीशन  के खेल की शिकायतें भी मिल रही हैं।  इस मामले को लेकर शिक्षक कोर्ट की शरण में भी जा रहे हैं। ऐसे ही मामले में गरियाबंद जिले के शिक्षक की याचिका पर हाईकोर्ट से नोटिस जारी होने पर विभाग हरकत में आया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे
शिक्षाकर्मी से शिक्षक बने शिक्षको को लगता है कि सरकार और सरकारी नुमाइंदों ने उन्हें  दिल खोलकर नही अपनाया है। शिक्षके के अधिकारों का हनन का सिलसिला रुकने नाम नही ले रहा है।प्रदेश के शिक्षको के सामने आए दिन कोई न कोई  सरकारी आदेश  आते है जो शिक्षा विभाग के कैलण्डर के अनुरूप नही  हैं और विभाग का शिक्षको के अधिकारों –  हक का हनन निरंतर करता ही जा रहा है   । जिसके कई मामले पहले प्रकाशित होते रहे हैं।

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 अब यह मामला सामने आ रहा है कि शिक्षा कर्मी से शिक्षक बने शिक्षक एलबी संवर्ग को  अपने ही कमाए पैसे जो एरियर्स के रूप में शासन के पास जमा है , उसे लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है   ।कुछ लोग ऑफिसों के चक्कर लगा कर थक गए हैं.तो कोई राज्यपाल तक शिकायत कर चुके  है।लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद उन्हें अभी तक उनका रुका पैसा नहीं मिला है । अगर कुछ मिला है ….तो केवल आश्वाशन या तारीख मिली है ।
 ऐसे ही आश्वासनों से पीड़ित एक शिक्षक जो कि गरियाबंद जिले में शासकीय हाई स्कूल हरदी में व्याख्याता पंचायत के पद पर कार्यरत हैं,  उन्हें जब अपने एरियर्स राशि के लिए विभाग एवं सरकार से न्याय नहीं मिला तो उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया ।  जहां से विभाग को नोटिस जारी होने के पश्चात विभाग के कान खड़े हुए और सीईओ जिला पंचायत गरियाबंद ने जिले के समस्त विकासखंड शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर तीन दिवस के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।
 
क्या है मामला
छत्तीसगढ़ राज्य भर में शिक्षक पंचायत संवर्ग का करोड़ों रुपए एरियर्स  राशि के रूप में सरकार के खजाने में अटका पड़ा है। ये एरियर्स शिक्षा कर्मियों के वेतन का अंश ही है  । जो पिछले कई सालों से  पंचायत विभाग में अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हर महीने काटा जा रहा था। जिसका कायदे से साल में एक बार हिसाब कर शिक्षको को भुगतना कर देना चाहिए था।
विभाग को शिक्षकों के समयमान वेतनमान,पुनरीक्षित वेतनमान,निम्न पद से उच्च पद का अंतर राशि सहित अनेक प्रकरण जो समय पर निपटा लिए जाने चाहिए थे  । किन्तु कार्यालयों एवं अधिकारियों की उदासीनता के चलते समय पर कार्य पूर्ण नहीं किया गया  ।  जिसके कारण शिक्षकों को इनका लाभ समय पर प्राप्त नहीं हो सका।
क्या कहना है शिक्षक नेताओं का
 शिक्षक नेता प्रदीप पांडेय के बताया कि एरियर्स को लेकर लगातार अधिकारियों से पत्राचार किया गया है  । उच्च कार्यालयों से इस विषय में समय समय पर जानकारी मंगाई भी जाती है ।  किन्तु आज पर्यन्त शिक्षकों के एरियर्स राशि का भुगतान नहीं हुआ है ।  यह गंभीर मामला है कि शिक्षकों को अपने एरियर्स राशि के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।
 
सुरजपुर से सँयुक्त शिक्षा कर्मी संघ के शिक्षक नेता सचिन त्रिपाठी ने बताया कि लंबित एरियर्स गड़ना व भुगतान के लिए राज्य शासन द्वारा जारी निर्देश का क्रियान्यवयन जिला जनपद स्तर पर महज शो पीस बनकर रह गया है । जो प्रयोग इस ग्रीष्मावकाश में शिक्षको को विद्यालय बुलाकर  समर कैंप लगाने का हुवा  है ।  उसकी आधी ऊर्जा से भी यदि प्रशासनिक अधिकारी शिक्षको के लंबित सत्वों को प्रदान  करने में भी लगाते तो अब तक वर्षो की यह समस्या निराकृत हो गई होती।
बहुतेरे ब्लॉकों में समस्त नियम कानून को ताक पे रख कर  कमीशन के खेल में सहभागी विकासखण्ड व जनपद के अधिकारी वेतन हेतु आबंटित शेष राशि से इस समस्या को निराकृत करने में रात दिन मेहनत कर रहे है।पूर्व के सेवा की लंबित एरियर्स राशि के भुगतान हेतु जब तक राज्य से आबंटन देय नही होगा  ,तब तक यह एरियर्स एक दिवा स्वप्न से बढ़कर और कुछ नही।
 
नवीन शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत ने बताया कि एरियर्स को को लेकर राज्य सरकार ने  समय समय पर दिशा निर्देशजारी किए है। जिसे लेकर कुछ अधिकारियों ने गंभीरता नही बरती तो कुछ अधिकारियों ने उसमें नाफ़ा नुकसान देखा और खास खास लोगो का एरियर्स जारी कर दिया । ऐसे अधिकारीयो पर कार्यवाही होनी चाहिए।वही कुछ शिक्षको ने नाम नही छापने की शर्त पर ये बताया कि एरियर्स कमीशन का खेल है।5 से 25 प्रतिशत में सब हो जाता है।आपको जितना एरियर्स चाहिए मिल जायेगा  । उसके लिए नियम कायदे ताक पर रख दिये जाते है।
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