कानन पेन्डारी में मची लूट…कहां गयी करो़ड़ों की प्रोजेक्ट फाइल

BHASKAR MISHRA
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KANANबिलासपुर— साल दर साल बीत रहे हैं..लेकिन कानन पेन्डारी को आज भी जुबान पर ही मिनी जू का दर्जा हासिल है। जू अथारिटी ऑफ इंडिया के निर्देश के बाद भी आज तक बिलासपुर वन मण्डल ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट ना तो सरकार को भेजा और ना ही दिल्ली को दिया है। अन्दर से मिली जानकारी के अनुसार प्रोजेक्ट रिपोर्ट जानबूझकर नहीं भेजा जा रहा है। कुछ लोगों की मानें तो प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार ही नहीं किया तो भेंजेगे क्या। लेटलतीफी की मुख्य वजह कानन पेन्डारी के आन्तरिक हालात हैं। जिससे कई वन अधिकारियों की थैली भरती है। यही वजह है कि कोई भी मिनी जू का रिपोर्ट कहीं भेजना ही नहीं चाहता है।

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                   बिलासपुर क्षेत्र का एक मात्र पर्यटन स्थल अधिकारियों की लापरवाही के चलते भारत के नक्शे में नहीं आ रहा है। दो साल पहले जू अथारिटी ऑफ इंडिया ने कानन पेन्डारी की स्थिति को देखते हुए अपग्रेड करने का फैसला किया था। दिल्ली ने बिलासपुर वन मण्डल को मिनी जू दर्जा देने कानन पेन्डारी प्रशासन को प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजने को कहा। शुरू में अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेज दिया जाएगा। दो साल भी प्रोजेक्ट रिपोर्ट वन मण्डल बिलासपुर ने शायद तैयार नहीं किा है।

                              अब बताया जा रहा है कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट की फाईल गुम गयी है। कुछ लोग तो यह भी बताते हैं कि दरअसल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार ही नहीं हुई। प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजने का सवाल ही नहीं उठता है।

                         मालूम हो कि जू अथारिटी ऑफ इंडिया के अनुसार कानन पेन्डारी ना केवल मिनी जू बल्कि उससे भी आगे की हैसियत रखता है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। देश की सर्वाधिक विविधता के साथ जीव जन्तुओं का यहां निवास हैं। इसे पहले मिनी जू का दर्जा बाद में अभ्यारण्य बनाया जा सकता है। जू अथारिटी आफ इन्डिया ने कानन प्रशासन को चार सौ करोड़ रूपए का प्रोजेक्ट तैयार कर शासन के सामने रखने को कहा। आरम्भ में इस दिशा में जमकर काम भी हुआ। बाद में अभियान और प्रयास पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया। चार सौ करोड़ का प्रोजेक्ट आज तक ना तो शासन स्तर पर भेजा गया और ना ही जू अथारिटी ऑफ इंंडिया को जानकारी दी गयी।

                                 बिलासपुर के चिन्हारी..कानन पेन्डारी कानन प्रशासन के लापरवाही के चलते केवल सामान्य पार्क बनकर रह गया है। बावजूद इसके यहां साल में हजारों लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। जुलाजिकल पार्क का दर्जा मिलने के बाद कानन में देश विदेश के सैलानी आते है। जाहिर सी बात है कि जुलाजिकल पार्क और मिनी जू की हैसियत मिलने से कानन पेन्डारी की सुविधाओं में भी विस्तार होता। आवक भी बढ़ती। इसका सीधा फायदा वनमण्डल बिलासपुर को होता। दो साल के बाद भी ऐसा नहीं हुआ। इसकी मुख्य वजह अधिकारियों की लापरवाही और अन्दर की कमाई है।

                  बहरहाल कानन पेन्डारी की स्थित को लेकर वनमण्डल गंभीर नहीं है। जिसके चलते ना केवल बिलासपुर बल्कि प्रदेश के प्रकृति प्रेमियों को दुख है। बिलासपुर का नसीब ही कहेंगे कि योजना होने के बाद भी अधिकारी गंभीर नहीं हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि योजना की फाइल ही गायब कर दी गयी है। ऐसा जानबूझकर किया गया है।

बायोमेट्रिक मशीन

                     सैलानियों की संख्या दर्ज करने प्रदेश सरकार ने कानन पेन्डारी में बायोमेट्रिक मशीन लगाने का निर्देश दिया था। आठ महीने बाद भी कानन पेन्डारी में बायोमेट्रिक मशीन नहीं लगाया गया है। जानकारी के अनुसार कानन प्रशासन बायोमेट्रिक मशीन लगाना ही नहीं चाहता है। यदि बायोमेट्रिक मशीन लगा दिया गया तो पर्यटकों की वास्तविक संख्या की जानकारी सबको हो जाएगी। जाहिर सी बात है कि इसका असर अधिकारियों के जेब पर पड़ेगा।

                                      एक जानकारी के अनुसार कानन पेन्डारी में हर साल वर्तमान आंकड़ों से कही डेढ़ गुना पर्यटक जीवजन्तुओं के साथ समय गुजारने पहुंचते हैं। जाहिर सी बात है कि इससे कानन पेन्डारी को करोड़ों की आय होती है। लेकिन कानन प्रशासन मेन्युल सिस्टम से पर्यटकों को प्रवेश देता है। जिसके चलते पर्यटकों की वास्तविक संख्या कम दिखाई जाती है। एक आंकड़े के अनुसार हर साल करीब वर्तमान पर्यटकों की संख्या के हिसाब से आधी रकम को अधिकारी दबा देते हैं।

               लगातार शिकायत के बाद वन मंत्री महेश गागड़ा ने आठ नौ महीने पहले कानन पेन्डारी में बायोमेट्रिक मशीन लगाने का निर्देश दिया। लेकिन अधिकारियों ने आज मंत्री के आदेश का पालन नहीं किया। जितनी बार प्रश्न को कानन प्रशासन के सामने उठाया गया…हर बार टका सा जवाब मिला कि जल्द ही मशीन लगाया जाएगा।

मामले को संज्ञान में लेंगे

                     सीजी वाल को फोन पर महेश गागड़ा ने बताया कि इस मामले को संज्ञान में लेंगे। आखिर आदेश के बाद भी बायोमेट्रिक मशीन को क्यों नहीं लगाया गया। इसके साथ ही कानन कैम्पस में स्टाल लगाने की इजाजत वेन्डरों को किसने दिया। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

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