जंगल का मतलब मौज मस्ती नहीं …

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

IMG_20151213_123519बिलासपुर— जंगल की नैसिर्गकता पर चिंता जाहिर करते हुए जंगल मितान छत्तीसगढ़ के पदाधिकारियों ने आज सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा की। पदाधिकारियों ने बताया कि नियम कानून ने हमे या तो जंगल से बहुत दूर कर दिया है। या फिर जंगल और वन जीवन को तिलस्म बना दिया है। इन दूरियों को कम करने और लोगों को जंगल की उपयोगिता के प्रति सचेत करने की जरूरत है। इन्ही बातों को केन्द्र में रखते हुए शिवतराई में आदिवासी युवा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के जरिए जंगल और वन्य जीवन के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी किया जाएगा।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                     जंगल मितान छत्तीसगढ़ संगठन ने आज पत्रकारों से बताया कि सिर्फ बड़े बड़े पेड़, कुछ जमीन और जीवों का नाम ही जंगल नहीं है। जंगल का अर्थ एक संपूर्ण संस्कृति भी है। इसमें हमारा आदिवासी समाज भी शामिल है। जिनका जंगल जीव और जमीन से गहरा अटूट संबध हैं। इन पर भी प्रदूषण और अपसंस्कृति का खतरा है। यद्यपि सरकार बहुत कुछ कर रही है। लेकिन इन बहुत कुछ ने तथाकथित सभ्य समाज को श्रेष्ठ बताकर आदिवासी संस्कृत के प्रति नकारात्मक छवि जनमानस में भर दिया है। इन दूरियों को पाटना ही जंगल मितान का उद्देश्य है।

                                     पदाधिकारियों ने बताया कि हमारी भौतिक सोच आज प्राकृतिक सोच पर भारी पड़ते नजर आ रही है। जो पर्यावरण संतुलन की दृष्टिकोण से किसी भी सूरत में किसी के लिए हितकर नहीं है। श्रेष्ठता की सोच ने हमारे जंगल और आदिवासी समाज को दोयम दर्जे का बना दिया है। इस सोच को मिटान की जरूरत है। जोगलेकर और पार्षद चन्द्रप्रदीप वाजपेयी ने बताया कि तथाकथित सभ्य सामाज से आदिवासी समाज कहीं ज्यादा उन्नत और समृद्ध है। उनकी कला संस्कृति को केवल सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। उन्हें अपने स्थान पर श्रेष्ट माना जाए।

                    वाजपेयी ने बताया कि आज हम जंगल को मौज मस्ती और पिकनिक का स्पाट बना दिया है। शहर का कचरा जंगल में छोड़ देते हैं। उसका सीधा प्रभाव पर्यावरण पर है। भोला भाला आदिवासी समाज भी इससे प्रभावित हुआ है। जंगल के जीव भी इससे अछूते नहीं है। यदि वन विभाग या सरकार को चिंता ही है तो मौजमस्ती करने वालों पर लगाम लगाना होगा।

         वाजपेयी ने कहा कि आदिवासी समाज आज हमसे कहीं कई मामलों में श्रेष्ठ हैं। जंगल मितान का उद्देश्य स्प्ष्ट है कि किसी भी सूरत में जंगल की संस्कृति को सम्मान मिलना चाहिए। उसे किसी भी रंग में रंगने की जरूरत नहीं है। उन्होने बताया कि जंगल मितान के स्वयंसेवी जंगल और जंगल के जीवन को राष्ट्र का धरोहर मानता है। उसे अपसंस्कृति और प्रदूषण से बचाना है। वह भी बिना किसी लाभ के प्रत्याशी के। वाजपेयी ने बताया कि इसी बात के मद्देनजर शिवतराई में स्थानीय आदिवासी गणमान्य और पत्रकारों के बीच 19 दिसम्बर को आदिवासी युवा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन में राजनीति का स्थान नहीं होगा।

close