जिला शिक्षा अधिकारी का अनोखा फरमान….एवजीदार आने तक नहीं होगा स्थानांतरण…शिक्षकों ने कहा जाएंगे कोर्ट

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—जिला शिक्षाधिकारी ने संचालक का हवाला देकर अनोखा फरमान जारी किया है। एवजीदार आने तक शिक्षकों को रीलिविंग देने से मना कर दिया है । बहरहाल फरमान के बाद शिक्षकों की मुसीबत बढ़ी गयी है। मामले में जिला शिक्षा अधिकारी अपने आप को सच साबित करने नए नए तर्क पेश कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी की माने तो संचालक के निर्देश फरमान जारी किया गया है। लेकिन उन्होने ऐसा कोई आदेश आया है दिखाने से साफ मना कर दिया है।
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                      जिले में शिक्षा अधिकारी के तुगलकी फरमान से शिक्षक हलाकान है। विभाग के अधिकारियों पर लेन देन का लगातार आरोप लग रहे हैं। खुलकर तो कोई शिक्षक बोलने को तैयार नहीं है। दबी जुबान में प्रताड़ित मास्टर तथाकथित बाबू पर अधिकारी के निर्देश पर प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे हैं। कई शिक्षकों ने नाम नहीं जाहिर होने की सूरत में कई प्रमाण  भी दिए हैं।
एवजीदार शिक्षकों के आने पर स्थानांतरण
                          बहरहाल एवजीदार शिक्षकों के नहीं आने तक रीलिविंग आदेश जारी नहीं किए जाने के फरमान से शिक्षकों में आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। बताते चलें कि लगातार स्थानांतरण सूची का प्रकाशन हो रहा है। लेकिन सूची को लागू करने को लेकर जिला शिक्षा विभाग का रवैया ढूलमुल है । जबकि सबका मालूम है कि राज्य स्तर से शिक्षकों का स्थानांतरण प्रशासनिक या स्वैच्छिक आधार पर किया गया है। कुछ विसंगतियों को लेकर संचालक महोदय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिला स्तर के अधिकारियों को कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश दिए है। जिसका जिक्र जारी किए गए आदेशों में भी है।  लेकिन इसी को आधार बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर ने अपनी तरफ से कुछ ऐसे बिंदु ऐसे जोड़ दिए हैं जो हास्यास्पद है। जिसके चलते शिक्षकों की परेशानी बढ़ गयी है।
मौखिक आदेश के पीछे तथाकथित बाबू का कमाल
                  नाम नहीं जाहिर होने की सूरत में एक रीलीविंग को लेकर परेशान एक शिक्षक ने बताया कि इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ एक तथाकथित बाबू जिम्मेदार है। संचालक की आड़ में जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से अनाप शनाप आदेश जारी कर अपना उल्लू सीधा कर रहा है। शिक्षक ने बताया कि यदि रीलिविंग नहीं किया गया तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाउंगा। यदि संचालक ने एवजीदार  शिक्षकों के आने के बाद रीलिविंग का आदेश दिया है तो बेहतर होगा कि जिला शिक्षा अधिकारी मौखिक ना देकर लिखित आदेश जारी करें।
व्यवस्था हो जाएगी चौपट
                    कई शिक्षकों ने बताया कि जब जिला शिक्षाअधिकारी अपने जिले के कर्मचारियों को दूसरे जिले के कर्मचारियों के आने तक भार मुक्त नही करने का आदेश जारी कर रहे हैं तो दूसरे जिले के अधिकारी भी यदि ऐसा करें तो व्यवस्था पू्री तरह से चौपट हो जाएगी। सीधी बात  तो यह है कि संचालक महोदय ने ऐसा कोई आदेश जारी ही नहीं किया है। क्योंकि मामले में जब रायपुर संपर्क किया गया तो इस प्रकार के किसी आदेश के जारी होने से साफ इंकार किया गया है। सही बात तो है यह है कि अन्य जिलों में ऐसा आदेश पहुंचा ही नहीं है।
                    ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजिम है कि संचालक की आड़ में  जिला शिक्षा अधिकारी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं । तथाकथित बाबू को मौखिक रूप से लेनदेन की खुली छूट दे रखे हैं। क्योंकि कई लोगों से तथाकथित बाबू ने फरमान के पीछे के मंसूबा जारी भी चुका है।  शिक्षकों ने बताया कि संचालक ने 26 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से बात की थी।  सभी के लिए एक प्रकार के दिशा निर्देश जारी किए थे। लेकिन बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने मौखिक आदेश जारी करते  संचालक महोदय का निर्देश बताकर अनोखा फरमान जारी कर दिया है।
पीड़ित शिक्षको ने कहा जाएंगे कोर्ट
                 शिक्षकों ने बताया कि समझ से परे है कि जब संचालक महोदय ने 26 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक साथ दिशा निर्देश दिए हैं। ऐसे में बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी का आदेश अन्य जिला शिक्षा अधिकारियों के आदेश से अलग कैसे हो सकता है। जिला शिक्षाअधिकारी का फरमान पूरी तरह आव्यावहारिक  है । यदि वह सोचते हैं कि जब तक उनके जिले में कर्मचारी नहीं आएंगे तब तक अपने जिले के शिक्षकों को  स्थानांतरित नहीं करेंगे तो यह उनकी भूल है। यदि ऐसा प्रदेश के अन्य जिला शिक्षा अधिकारियों ने कुछ इसी तरह का फरमान जारी कर दिया तो व्यवस्था चौोपट हो जाएगी। यदि संचालक ने ऐसा आदेश जारी किया है तो बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में संचालक के आदेश का हवाला देकर आदेश जारी करना चाहिए। बेहतर होगा कि स्थानांतरण के लिए गठित टीम को तत्काल हटाया जाए।  स्थानांतरण के जो सामान्य नियम लागू है उनका पालन सख्ती से किया जाए। अन्यथा हम हाईकोर्ट जाएंगे।
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