(प्राण चड्ढा)कभी छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश जुड़वे भाई थे,पर 2000 से भाई बंटवारा हो गया,आज मौसरे भाई हैं। तब मध्यप्रदेश देश का टाइगर स्टेट बना था,और इसके लिए बनी कमेटी में बिटूट सहगल, वाल्मीक थापर,एम के रणजीत सिंह,ब्लाइंडा राइट्स,के साथ मुझे भी रहने का सौभाग्य मिला था।
इसके बाद छतीसगढ़ अलग राज्य बन गया, आज छतीसगढ़ में मात्र 19 टाइगर है और मप्र इस बीच टाइगर स्टेट का दर्जा खो कर कल घोषित टाइगर गणना में फिर कर्नाटक से बढ़त बना कर टाइगर स्टेट बना गया। मप्र को बधाई। विश्व के एक तिहाई टाइगर भारत में हैं और भारत में सबसे अधिक टाइगर 526 मध्यप्रदेश राज्य में यह उसके लिये गौरव की बात है।
टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के सामने अपना खिताब बचाये रहने की चुनौती हैं। साथ ही यह भी बड़ी चुनौती है कि,पार्क प्रबंधन में वह चुस्त रहे। जानकारी मिली है कि मप्र में प्रति जिप्सी सफारी की जंगल प्रवेश फीस याने टिकट 1500 से बढ़ाकर 4200 रुपये का होगा,इसी तरह गाईड भी दो ग्रेड बना बढ़ी दर में मिलेगा। लेकिन उससे जरूरी बाघ दिखने में पार्क और टाइगर सुरक्षा के लिए निर्धारित प्रावधानों का परिपालन जरूरी है। तभी वह सभी अर्थों में टाइगर स्टेट बनेगा।
दूसरी तरफ मप्र के भाई छतीसगढ़ से अपेक्षा है कि वह सोचे कि शानदार जंगल होने के बावजूद वहाँ 19 टाइगर होने की बात भी, जानकर स्वीकार करने में हिचक रहे हैं। यह उसके लिए दुर्दिन हैं। टाइगर पलायन का बहाना किसी के गले से नहीं उतरेगा। जब तक जिप्सी सफारी में टाइगर दिखाई नहीं शुरू नहीं होता, छत्तीसगढ़,के पार्क प्रबंधन और वन संरक्षण पर सवालिया निशान रहना स्वाभाविक है।