डीए रोकने के फैसले के खिलाफ 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगा तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, पी.आर यादव बोले – राष्ट्रीय संकट में पहले कभी कर्मचारियों के वेतन – भत्ते में नहीं की गई कटौती

Chief Editor
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रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने कर्मचारियों और पेंशनर्स के डीए रोकने संबंधी केन्द्र सरकरा के फैसले का कड़ा विरोध किया है। संघ के प्रंताध्यक्ष पी . आर. यादव ने आह्वान किया है कि इस कर्मचारी विरोधी निर्णय के खिलाफ संघ के पदाधिकारी राजधानी, जिला एवं तहसील मुख्यालयों में 27 अप्रैल सोमवार को ज्ञापन सौंपेंगे। अपने संगठन के पदाधिकारियों को भेजे गए संदेश में पी.आर.यादव ने कहा है कि संपूर्ण दुनिया के साथ हमारे देश, प्रदेश और शहर- गांव तक कोरोना वायरस महामारी का आतंक या प्रकोप है। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

प्रदेश की जनता के साथ हमारा परिवार भी लॉक डाउन के कारण घरों में कैद हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में भी प्रदेश के कर्मचारी जनता को कोरोना वायरस से बचाने की जंग में अग्रिम पंक्ति में लड़ाई लड़ रहा है । विशेषकर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर कोरोनावायरस को हराने में युद्धरत हैं। उन्हें हम सैल्यूट करते हैं ।  विभिन्न विभागों के शासकीय कर्मचारी भी कोरोना से बचाव कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं

     पी.आर. यादव ने कहा कि ऐसे विपरीत समय में देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हमारे परिवार के ऊपर सबसे बड़ा आर्थिक आघात किया है ।केंद्र के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के लगभग 125 लाख परिवारों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। देश की आजादी के बाद 1962 का चाइना युद्ध, 1965 एवं 70 का  पाकिस्तान के साथ युद्ध ,1975 का आपातकाल जैसे राष्ट्रीय संकट के समय भी कर्मचारियों के वेतन -भत्तों में कटौती नहीं की गई थी ।

     पी.आर. यादव ने याद दिलाया कि  कि 2004 में एनडीए – 1  की श्री अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने देश के करोड़ों कर्मचारी परिवार की सामाजिक सुरक्षा को समाप्त करते हुए, अंग्रेजों को समय से लेकर  2004 तक लागू पेंशन योजना को समाप्त कर दिया । जिसके कारण 2004 के बाद नियुक्त  लाखों कर्मचारियों का परिवार पेंशन से वंचित हो गए हैं ।

  अब एनडीए – 2  की मोदी सरकार ने सबसे पहले वेतन आयोग को स्थाई रूप से समाप्त कर दिया है और अब जुलाई 2021 तक मंगाई भत्ते पर रोक लगा दी है ।  आने वाले वक्त में आप के वेतन का 20 से 25% की कटौती सरकार कर सकती है!

  उन्होने आगे कहा कि  हमारे वेतन भत्तों से कटौती कर यदि इस राशि का उपयोग गरीब, मजदूरों ,भूखे को भोजन के लिए हो तो हम सहर्ष स्वीकार भी कर लें । लेकिन स्थापना व्यय में 10% राशि कटौती कर इसका उपयो उद्योगपतियों को मदद के लिए किया जाएगा । इसलिए विरोध जबरदस्त होना चाहिए । यदि आप सोचते हैं कि केंद्र सरकार की इस निर्णय से सिर्फ केंद्रीय कर्मचारी प्रभावित होंगे! तो आप भ्रम में हैं  । क्योंकि इतिहास गवाह है कि कर्मचारी अहित के जितने निर्णय केंद्र ने लिए हैं वे सभी निर्णय राज्यों पर भी लागू हुआ है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2004 का पेंशन योजना समाप्त करने का है ।

   उन्होने कहा कि  छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को जुलाई 2019 से 5% महंगाई भत्ता अभी तक नहीं मिला है। केंद्र सरकार के पद चिन्हों पर चलते हुए राज्य सरकार महंगाई भत्ता बंद करने का निर्णय  लेती है तो हम 2 साल तक महंगाई भत्ते से वंचित हो जाएंगे।

     इसलिए आने वाले बुरे वक्त को ध्यान में रखकर अभी से संघर्ष के लिए कमर कस लीजिए। हमेशा की तरह हमारा संगठन इसकी शुरुआत करने जा रहा है ।लॉक डाउन एवं धारा 144 लागू है, इसलिए धरना-प्रदर्शन नहीं करते हुए कर्मचारी विरोधी निर्णय के खिलाफ 27 अप्रैल  सोमवार  को दोपहर 12:00 बजे , तानाशाही निर्णय का प्रतिकार  एवं राज्य सरकार को इसे लागू नहीं करने की चेतावनी देते हुए, राजधानी, जिला एवं तहसील मुख्यालयों में पांच पदाधिकारी  तहसील में एसडीएम/ तहसीलदार और जिलों में कलेक्टर के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।लॉक डाउन के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी साथी मास्क लगाकर सैनिटाइजर साथ में रखकर 1 मीटर की दूरी रखते हुए ज्ञापन सौपेंगे।

पी. आर . यादव ने अपने साथियों से आह्वान किया है कि आपको दोहरी लड़ाई लड़नी होगी एक तरफ कोरोनावायरस से स्वयं एवं परिवार को सुरक्षित रखना और दूसरी तरफ मोदी जी द्वारा फैलाए गए आर्थिक वायरस के नुकसान से भी अपने को सुरक्षित रखना है ।

 इसलिए “हर जोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है” इसे फलीभूत कर मोदी सरकार के निर्णय के खिलाफ  नारे लगाते हुए ज्ञापन सौपें।

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