नईदिल्ली।पासपोर्ट बनवाने के नियमों को आसान बनाने के लिए विदेश मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। इससे पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने वाले नागरिकों को फायदा होगा।नए नियमो के अनुसार पासपोर्ट नियमावली, 1980 के मौजूदा वैधानिक प्रावधानों के तहत 26/01/1989 को या उसके बाद जन्म लेने वाले आवेदकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्मतिथि के प्रमाण के तौर पर अपना जन्म प्रमाणपत्र को पेश करना अनिवार्य होता था लेकिन अब निर्णय लिया गया कि ऐसे आवेदक जन्मतिथि प्रमाण के दस्तावेजों में इन दस्तावेजो को दिखा सकते हैं।जिनमे लास्ट अटेंडेड स्कूल/मान्यता प्राप्त शैक्षणिक बोर्ड द्वारा जारी ट्रांसफर/स्कूल लीविंग/10वीं सर्टिफिकेट,आयकर विभाग द्वारा जारी पैन कार्ड,आधार कार्ड/ई-आधार कार्ड,आवेदक के सर्विस रिकॉर्ड की प्रति (केवल सरकारी कर्मियों के संबंध में) या पे पेंशन ऑर्डर (केवल सेवानिवृत कर्मियों के संबंध में), आवेदक के संबंधित मंत्रालय/विभाग के प्रशासन में ऑफिसर/इन-चार्ज द्वारा अटेस्टेड/सर्टिफाइड,संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस,भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनाव फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी),पब्लिक लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन/कंपनियों दवारा जारी पॉलिसी बॉन्ड जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी के होल्डर की जन्मतिथि लिखी हो।
इसके अलावा पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में सिंगल पेरेंट और गोद लिए बच्चों से जुड़ी तमाम समस्याओं को निपटाने के लिए विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी। समिति की रिपोर्ट को विदेश मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए जिन नियमों में बदलाव किए गए हैं उनमे ऑनलाइन पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब माता या पिता या फिर कानूनी अभिभावक के नाम में से किसी एक का नाम देना होगा। इससे सिंगल पेरेंट्स के बच्चों को पासपोर्ट जारी करने में आसानी होगी,पासपोर्ट नियमावली 1980 के 15 बिंदुओं को कम करके अब 9 कर दिया गया है। बिंदुओं ए, सी, डी, ई, जे और के को हटा दिया गया है और कुछ बिंदु किसी दूसरे में मिला दिए गए हैं,आवेदकों द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर दी जाने वाली जानकारी सादे कागज पर एक स्व-घोषणा के रूप में होगी।किसी अटेस्टेशन/शपथ/नोटरी/कार्यकारी मजिस्ट्रेट/प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता नहीं होगी, शादीशुदा आवेदकों को एनेक्चर के या विवाह प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा, तलाक या अलग होने की स्थिति में पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब पति/पत्नी का नाम देना जरूरी नहीं होगा। इसके लिए तलाकनामे की जरूरत भी नहीं होगी।अनाथालय में रहने वाले बच्चे जिनके पास जन्मतिथि या 10वीं कक्षा का प्रमाणपत्र नहीं हैं, वह अनाथालय/चाइल्ड केयर होम के प्रमुख की ओर से उनके आधिकारिक लेटर हेड पर आवेदन की जन्मतिथि की पुष्टि करने वाला एक शपथ पत्र जमा कर सकते हैं। बच्चे को गोद लेने के स्थिति में इसका प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा। सादे कागज पर भी गोद लेने की पुष्टि करने वाला शपथ पत्र दिया जा सकता है। वहीँ साधु-सन्यासियों पासपोर्ट आवेदन पत्र में अपने धर्मगुरु का नाम अपने माता-पिता के नाम की जगह दे सकते हैं।