(प्राण चड्ढा)विकास के नाम पर सड़क के किनारे के छायादार पेड़ों की गैरजरूरी कटाई करने वालों सोचे,आप भावी पीढ़ी को क्या देना चाहते है,पैसा या स्वास्थ, आज की नहीं कल की सोचे, बिलासपुर से कोटा मार्ग को शीतल हवा देने वाले इन पेड़ों को धनलिप्सा के लिए कत्ल नहीं करें।शहर के बाद अब दूर तक सड़कों के पेड़ों की कटाई का सिलसिला चल रहा है। बिलासपुर- रायपुर सड़क के हज़ारों पेड़ सड़क चौड़ी करने काटे जा चुके है। रतनपुर-कोटा सड़क के लिए पेड़ो की बलि बड़े पैमाने में हो चुकी है। अब कोटा की सड़क जिन पेड़ो की गुफा से गुजरती है, उनकी कटाई के लिए पेड़ चिन्हित किए जा चुके के इनकी संख्या 4 हज़ार बताई जाती है। जिनमे अधिकाँश पेड़ पेंटाफार्म के है, क्ररीब 2 सौ औषधीय पेड़ अर्जुन याने कहुए के है, जिसे बढ़ने सीएम डा रमन सिंह जोर देते रहे हैं। इसे ह्रदय रोग की रामबाण दवा बनती है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व से गुजरने वाली सड़क बन्द की जा चुकी है, इसलिए ट्रैफिक इस मार्ग के बजाय वैकल्पिक नए मार्ग से जाता है। रतनपुर कोटा सड़क के बाद इस सड़क पर वीरानगी का आलम और बढ़ जायेगा। फॉटो आज की है, जिसमें कोई ट्रेफिक इस सड़क पर नहीं दिख रहा। याने इस सड़क के चौड़ीकरण का कोई जरूरत नहीं, सुधार किया जा सकता है, पर खाओवाद इससे सन्तुष्ट नहीं होगा । 74 करोड़ व्यय होंगे तब उसे कुछ शान्ति मिलेगी।पेड़ काटने और सड़क निर्माण की नाप जोख आज भी यहां हो रही थी । क्लींन् और ग्रीन के सपने की दुर्दशा दिख रही है।विरोध में 21 मई मानव श्रंखला बनेगी। इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना होगा। उद्देश्य समाने रख सबको काम करना होगा। दो साल हुए शहर के बुजुर्ग पेड़ों की कटाई का नतीजा देख रहे हैं पारा 47 डिग्री तक जा पहुंचा, नवतपा बाक़ी है।
समय है सोचें, हम अपने बच्चों के क्या देना चाहते हैं धन या हराभरा शुद्ध वातावरण, आज वक्त है कल वक्त नहीं रहेगा, पेड़ एक मौसम में बड़ा छायेदार नहीं बनता। पता है, तो सड़क के दोनों किनारे पेड़ दूर क्यों नही समय पर लगते। दूरदर्शिता का अभाव या धनलिप्सा।