रायपुर–पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस कथन पर जिसमें उन्होंने आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए, के पीछे छुपे राज की ओर ध्यान इशारे करते हुये कहा है कि मोहन भागवत की दिल की बात आखिरकार जुबान पर आ ही गई। जोगी ने बताया कि आरएसएस और भाजपा प्रारंभ से ही दलितों और पिछड़ों के आरक्षण की घोर विरोधी है। संघ ने एससी-एसटी एवं पिछड़ों के आरक्षण का कभी समर्थन नहीं किया। वह तो केवल वर्ग विशेष की पोषक रही है। इसी सोच के तहत आरएसएस के प्रमुख पद सरसंघचालक एवं प्रचारकों के पद पर आज तक किसी आरक्षित वर्ग के व्यक्ति या दलित को कभी अवसर प्रदान नहीं किया। जो संघ के आरक्षण विरोधी सोच का ज्वलंत उदाहरण है।
अजीत जोगी ने बताया कि आरक्षण पर समीक्षा का सुझाव अपने आप में आरक्षण के विरोध को जाहिर करता है। संघ और भाजपा आरक्षण को समाप्त करने का माहौल तैयार कर रहे हैं। मोहन भागवत के आरक्षण समीक्षा के सुझाव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खामोश है जिसे भागवत के विवादित बयान पर मौन स्वीकृति ही कहा जायेगा।
जोगी ने कहा है कि केन्द्र में भाजपा के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परोक्ष रूप से सत्ता की बागडोर पूर्णरूपेण संभाले हुये हैं। भाजपा शासित राज्यों और केन्द्र की सरकार में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर केवल संघ से जुड़े हुये सेवकों को ही उपकृत कर रही है। भाजपा केवल आरएसएस की हाथ की कठपुतली मात्र है जिसे जैसे संघ प्रमुख मोहन भागवत चाहते हैं वैसा नचा रहे हैं।
जोगी ने आसन्न बिहार चुनाव में मतदाताओं को आगाह करते हुये कहा है कि मोहन भागवत की आरक्षण समीक्षा का अर्थ वहां के दलित और पिछड़े मतदाता समझ गये हैं। जानते-बूझते कोई भी व्यक्ति खाई में नहीं गिरता है। बिहार चुनाव भाजपा के लिये वाटरलू सिद्ध होगा और इसका खामियाजा बिहार चुनाव में भुगतना पड़ेगा।