बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सर्व सुविधाओं से लैस सरकारी स्कूल अब अभिभावकों के लिए बेहतर विकल्पः प्रदेश शिक्षक फेडरेशन

Chief Editor
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जशपुर नगर । छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,जशपुर जिला अध्यक्ष विनोद गुप्ता एवं महामंत्री संजीव शर्मा का कहना है कि कोरोना के विरुद्ध संघर्ष में आम जनता का विश्वास सरकारी अमला के प्रति बढ़ा है।कोरोना काल ने सरकारी शब्द के प्रति जनमानस के नकारात्मक सोच को सकारात्मक बनाया है।   

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उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण अधिकांश उच्च, निम्न एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।  अभिभावक निजी स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ हैं और वे फीस माफी चाहते हैं। निजी स्कूल वाले मान नहीं रहे हैं। सरकार ने निजी स्कूल वालों से कहा भी है कि वे फीस न बढ़ाएं तथा एकमुश्त शुल्क भरने का दबाव न बनाएं।लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी निजी स्कूल,सरकार के फरमान को मान लेंगे।उनका कहना है कि, जिस प्रकार संकट के घड़ी में सरकार और जनता ने सरकारी अमले पर भरोसा जताकर सुखद परिणाम पाया है,उसी प्रकार विद्यार्थियों के अभिभावकों को,अब सरकारी स्कूल पर भरोसा करके अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहिए।    उनका कहना है कि, 8 वीं कक्षा तक कोई प्रवेश या मासिक फीस नहीं है। उच्चतम शैक्षणिक अहर्तायुक्त योग्य  शिक्षक एवं शिक्षण उपलब्ध है। एन सी ई आर टी पाठ्यक्रम,अच्छे भवन , पर्याप्त फर्नीचर,निशुल्क यूनिफार्म एवं पुस्तकें,साईकिल, छात्रवृति और पौष्टिक मिड डे मील सरकारी स्कूल में उपलब्ध है।साथ ही घर के निकट होने के कारण,स्कूल आना जाना आसान है,कोई वाहन शुल्क भी नहीं लगेगा।     उनका कहना है कि अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर विश्वास करके देखना होगा। पुरानी पीढ़ी भी इन ही सरकारी स्कूलों में पढ़ी है।क्या वे,किसी से कम है।इनमें से कई तो प्राइवेट स्कूलों के मालिक है।कई बड़े उद्योगपति एवं सफल व्यवसायी  हैं।शासन प्रशासन के उच्च पदों पर आसीन हैं।      

उनका कहना है कि 9 वीं कक्षा से मामूली फीस है।स्कूलों में अत्याधुनिक प्रयोगशाला, लाइब्रेरी,स्मार्ट क्लासरूम एवं एडूसेट की सुविधाएं सरकारी स्कूलों में उपलब्ध है। कक्षा 12 वीं तक पढ़ाने के लिए उच्च योग्यताधारी शिक्षक हैं।सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क ऑनलाईन टीचिंग क्लासेज संचालित हो रहे है।प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए विशेष कोचिंग की सुविधाएं अनेक जिलों में है।अभिभावकगण बेवजह सरकार पर,निजी स्कूलों पर फीस कम करने का दबाव बना रहे है। जबकि,सरकार ने तो उनके सामने सर्वसुविधायुक्त सरकारी स्कूलों में प्रवेश का विकल्प दे रखा है । यदि अभिभावक निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली से खुश नहीं है,तो सरकारी स्कूल एक बेहतर विकल्प है।सरकारी स्कूल भले ही अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन नहीं देते,अपनी प्रशंसा स्वयं नही करते हैं।लेकिन,सरकारी स्कूलों का नेटवर्क देश के छोटे से छोटे गांव में है।पूरी पारदर्शिता है,इसलिए सरकारी स्कूलों की आलोचना कोई भी कर सकता है।अखबार के पन्नों में,केवल बुराई ही छपती है।जबकि,आज भी देश के करोड़ों बच्चे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी हैं,जोकि निजी स्कूलों से अधिक ही हैं।दिल्ली में,प्राइवेट स्कूलोँ के तुलना में सरकारी स्कूल और इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थी हर मामले में आगे हैं।वहाँ जनता के सोच में परिवर्तन हुआ है।    उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता अधिक है।जिसके कारण बोर्ड परीक्षा केंद्र और मूल्यांकन केंद्र सरकारी स्कूलों में बनाया जाता है।सरकारी स्कूल बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सर्व सुविधाओं से लैस है।जिसका लाभ विद्यार्थियों को निःशुल्क प्राप्त है।

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