बिलासपुर– एसईसीएल मुख्यालय में ’’राजभाषा पखवाड़ा उद्घाटन समारोह’’ अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ओमप्रकाश की अध्यक्षता डा. आर.एस. झा के विशिष्ट आतिथ्य, महाप्रबंधक संजीव कुमार, विभिन्न विभागाध्यक्षों, अधिकारियों-कर्मचारियों, श्रमसंघ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मनाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ओमप्रकाश ने कहा कि आज का दिन आत्म-अवलोकन का है। हम पूरे वर्ष हिंदी में कितना कामकाज करते हैं । राजभाषा हिंदी को हमें राष्ट्रभाषा बनाने का लक्ष्य होना चाहिए । वर्तमान में हिंदी को बोलचाल की भाषा के रूप में सर्वस्य अपना लिया गया है। कार्यालयीन कार्यों में हिंदी के प्रयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजभाषा हिंदी के उन्नयन के लिए उच्च स्तर से जो निर्देष प्राप्त होते हैं उसका अक्षरश पालन होना चाहिए । हिंदी हमें एकसूत्र में पिरोने का कार्य करती है ।
विशिष्ट अतिथि एसईसीएल के निदेशक डा. आर.एस. झा ने कहा कि हिंदी सरल, सुगम, सुबोध, संपर्क व रोजगार की भाषा है इसलिए पूरे देश में इसकी स्वीकार्यता देखने को मिल रही है। हमारी एकता और अखण्डता को प्रदर्षित करती है । दैनिक जीवन में हिंदी का अत्यधिक प्रयोग करना चाहिए । हिंदी जानदार भाषा है, इसका अपना विशाल शब्दकोष , सहज भाव से रोजमर्रा के कार्यालयीन कार्य में इसका बेझिझक इस्तेमाल करना चाहिए।
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कार्यक्रम अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि ने मां सरस्वती के चित्र के सामने दीप-प्रज्जवलन और माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण वरिष्ट अधिकारी जनसंपर्क एस.पी. सिंह ने दिया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए उप प्रबंधक प्रभात कुमार कुमार ने राजभाषा पखवाड़ा के आयोजन के उद्धेश्य पर प्रकाश डालते हुए राजभाषा पखवाड़ा के दौरान आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण दिया ।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संदेश का पठन प्रबंधक संजीव झा ने किया। केन्द्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल के संदेश का वाचन डी.के. जायसवाल ने किया। कोयला सचिव अनिल स्वरूप के संदेश को सहायक प्रबंधक सनीषचन्द्र ने पढ़ा। कोलइण्डिया चेयरमैन सुकीर्त भट्टाचार्य के संदेश का का पठन सविता निर्मलकर सहायक प्रबंधक राजभाषा ने किया ।
इस अवसर पर खुली हिंदी स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में कुल 122 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। प्रथम पुरस्कार- नवीन कुमार द्वितीय- गोपेश द्विवेदी और तृतीय पुरस्कार कुमारी संगीता सुब्रत चटर्जी को मिला। सांत्वना पुरस्कार- श्रीकांत वर्मा,एस.सी. देवांगन को दिया गया।