बिलासपुर—- लखीराम आडिटोरियम में जिला पंचायत शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान कमोबेश सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को मंच पर स्थान दिया गया। लेकिन जगह कम होने के कारण शायद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को मंच पर नहीं बुलाया गया। ना ही उन्हें मंच के सामने कुर्सी मिली। इसके बाद नेता ने आपा खो दिया। किसी तरह उन्हें मनाया गया। और तत्काल मंच के सामने बैठक की व्यवस्था की गयी। लेकिन इस दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता का पारा पूरे समय तक चढ़ा रहा।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मंच पर कांग्रेस नेताओं में बैठने को लेकर जबरदस्त होड़ देखने को मिला। लेकिन स्थान कम होने के कारण क्रमशः पहली पंक्ति में शेख नजरूद्दीन,विजय केशरवानी,बैजनाथ चन्द्राकर, अरूण चौहान, मुख्य अतिथि रश्मि सिंह,हेमकुवंर, रामशरण यादव रामाधार कश्यप,आशीष सिंह और अटल श्रीवास्तव को ही बैठने की व्यवस्था हुई। इसके अलावा पहली पंक्ति में दोनों तरफ जिला पंचायत सदस्य जितेन्द्र पाण्डेय और अंकित गौरहा की कुर्सी थी। इसके अलावा पीछे की तरफ दो पंक्तियों में सभी अन्य नव निर्वाचित 18 सदस्यों को बैठाया गया था।
शायद जगह कम होने के कारण कांग्रेस के एक बड़े नेता को मंच पर स्थान नहीं मिला। यद्यपि वह शपथ ग्रहण समारोह में देरी से पहुंचे। इस कारण उन्हें मंच के सामने भी स्थान को लेकर भटकना पड़ा। और अंत में उन्होने व्यवस्था को लेकर जमकर आक्रोश जाहिर किया। नाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेता को कहना पड़ा कि आखिर यह किस तरह की व्यवस्था है। उनकी नाराजगी को लेकर पूरे समय लोगों में खुसुर फुसुर होती रही। लोग कयास लगाते रहे कि कहीं यह नाराजगी मंच पर स्थान नहीं मिलने को लेकर तो नहीं है।
नहीं दिखे नगर विधायक शैलेन्द्र पाण्डेय
इस दौरान आम जनता में चर्चा का विषय रहा कि शपथ ग्रहण समारोह में नगर विधायक को नहीं बुलाया गया। यद्यपि मंच से बार बार जानकारी दी गयी कि राजमाता देवेन्द्र कुमारी की निधन के बाद बड़े नेता सीधे अपने घर से विधानसभा सत्र में शामिल होने रायपुर पहुंच गए। जिसके चलते बड़े नेताओं का शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना संभव नहीं हुआ।
इस दौरान आम जनता में इस बात को लेकर पूरे समय तक चर्चा रही कि शायद नगर विधायक को आमंत्रित नहीं किया गया। वहीं नगर विधायक के कुछ खास समर्थकों ने बताया कि विधानसभा सत्र होने के कारण शैलेष पाण्डेय रायपुर में हैं। इसलिए समारोह में शिरकत नहीं कर सके। इस बीच यह भी सवाल लोगों में रहा कि फिर यह औपचारिकता फिर अन्य विधायकों पर भी लागू क्यों नहीं है।