शिक्षा विभाग का गड्ड- मड्ड आदेश.. स्टाक नहीं..बांटना होगा गणवेश..अब तक क्वारंटीन स्कूल नहीं हुए सेनेटाइज ..संसाधन नहीं.. फिर भी आनलाइन मानिटरिंग का निर्देश..शिक्षकों में भ्रम

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- शिक्षा विभाग के प्रतिदिन आदेश वाले खेल से शिक्षको में भ्रम की स्थिति है। अभी तक बच्चों का गणवेश आया नहीं है। लेकिन गणवेश वितरित करने की अंतिम तारीख का एलान 14 अगस्त कर दिया गया है। वहीं ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर भी विभाग की तरफ से रोज बदले जाने से शिक्षक ही नहीं अभिभावक भी खासे परेशान हैं। 
 
                  कोरोना काल के साथ प्रदेश के शिक्षा विभाग में जमकर प्रयोग का दौर भी चल रहा है। मुख्यालय से रोज रोज मिल रहे आदेश को लेकर शिक्षकों में भ्रम की स्थिति है। कुछ शिक्षक तो अब यह भी कह रहे हैं कि हमें फिलहाल भ्रम दूर करने वाले आदेश की अब सख्त जरूरत है।
 
                              जानकारी देते चलें कि सभी जिलों के शिक्षा विभाग के माध्यम से लोक शिक्षण संचानालय और स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षण कार्य को संचालित करता है। समय समय पर आदेश पारित कर खामियों को दूर करने के अलावा नए प्रयोग की इजाजत देता है। शिक्षकों की माने तो यह एक सामान्य प्रकिया है। लेकिन एक ही विषय के लिए जब आदेश अलग अलग तारीख पर अलग अलग निर्देश दे तो समस्या खड़ी हो जाती है। इन दिन शिक्षा विभाग में ऐसा ही कुछ हो रहा है। 
 
               इन दोनों शिक्षण संचाललनालय और स्कूल शिक्षा विभाग से जारी  आदेशों से समस्या का निदान कम परेशानियां ज्यादा खड़ी हो रही हैं। एक ही विषय पर दो तरह के निर्देश शिक्षको के लिए परेशानी की सबब बन गयी है। 30 जुलाई को शिक्षा विभाग के अवर सचिव ए. आर.खान के हस्ताक्षर से आदेश जारी होता है कि बच्चो के शाला प्रवेश संबंधित समस्त कार्य 15 अगस्त तक पूर्ण कर लिए जाएं। आदेश के बाद शिक्षक काम जुट भी गए। इसी दौरान 31 जुलाई को संचालक लोक शिक्षण संचानालय से आता है कि स्कूल में गणवेश, पाठ्य पुस्तक,  सायकल योजना के वितरण कार्य समेत इंसेंटिव योजना के लिए पात्र छात्राओं की सूची ,राज्य एवं केंद्र योजना अंतर्गत प्राप्त छात्रवृत्ति कार्य आदि समस्त कार्य हर स्थिति में 14 अगस्त तक अनिवार्य रूप से पूरा किया जाए। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि समय पर काम पूरा नहीं किया जाता है तो जिम्मेदार लोग गलती की भुगतान के लिए तैयार रहें।
 
                          जाहिर सी बात है शिक्षक कार्यवाही के डर से सारे काम यानि शिक्षा विभाग के आदेश को नजरअंदाज करते हुए 14 अगस्त से  पूर्व ही काम को अंजाम देने जुट गए। एक शिक्षक ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम समय पर काम पूरा कर रिपोर्ट तो पेश कर ही देंगे। सवाल अब यह उठता है कि बाद में प्रवेश लिए बच्चो के लिए शिक्षकों को फिर माथापच्ची करना होगा। शासन या फिर यह स्पष्ट भी करे कि बाद में प्रवेश करने वाले बच्चों की स्थिति को लेकर क्या कुछ किया जाए। जाहिर सी बात है कि शासन की योजनाओं से बाद में आने वाले बच्चों को वंचित रहना पड़ेगा। 
 
गणवेश नहीं फिर भी 14 अगस्त तक बांटना होगा
 
               शिक्षक ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों समेत बिलासपुर जिले में भी अब तक बच्चो को बाटे जाने वाले निःशुल्क गणवेश आज दिनांक तक प्राप्त नही हुए है। संचालक लोक शिक्षण संचानालय के आदेशानुसार गणवेष 14 अगस्त तक बट जाना चाहिए। जानकारी देते चलें कि प्रदेश के लाखों बच्चो को निःशुल्क गणवेश प्रदाय करने का कार्य खादी ग्रामोद्योग विभाग के पास है। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से गणवेश प्रदाय नही किया जा सका है। शायद गणवेश तैयार भी नहीं हुआ है। 
 
स्कूल क्वारिनटीन सेंटर..अभी भी संक्रमण का खतरा, कैसे होगा प्रवेश
 
         कोरोना काल में अधिकांशतः स्कूलों को क्वारिन्टीन सेंटर बना दिया गया है। मरीजों के चले जाने के बाद भी अभी तक स्कूलों को सेनेटाइज नही किया गया है। जान जोखिम में रखकर शिक्षकों ने स्कूल आना भी शुरू कर दिया है। आदेशानुसार प्रवेश प्रकिया और घर घर पाठ्यपुस्तक , सूखा राशन , गणवेश वितरण भी शुरू हो चुका है। जबकि अभी भी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नही है। स्कूलों में कोरोना क्वारिन्टीन सेंटर बने हुए हैं। सवाल उठता है कि ऐसे में शिक्षकों को बच्चों और उनके परिवार से मिलना कितना उचित है ?
 
संसाधन नही..फिर किस बात को लेकर ऑनलाइन मानिटरिंग
 
            संचालक लोक शिक्षण संचानालय के नए आदेश के अनुसार समस्त शासकीय योजनाओं की प्रधान पाठक के माध्यम से ऑनलाइन एंट्री अनिवार्य है। जबकि इसके लिए ना तो शासन ने कोई प्रशिक्षण ही दिया है। और ना ही कोई संसाधन ही उपलब्ध कराए गए हैं।
 
ऑनलाइन शिक्षण के रोजाना बदलते नियम
 
                   प्रदेश में ऑनलाइन शिक्षण पढ़ाई तुहार द्वार के सम्बंध में भी नियम प्रतिदिन बदल रहे हैं। शिक्षको में भ्रम की स्थिति है। पहले लगने वाली ऑनलाइन क्लास अब ध्वनि विस्तारक यंत्रों कराया जा रहा है। लेकिन इसके लिए शासन ने बजट को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं दिया है।

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