बिलासपुर— साल 2014 में हिरासत में लिए गए सिमी से संबध रखने वालों के खिलाफ आज जिला एवं सत्र न्यायालय में गवाही हुई। रायपुर स्थित आईसीआईसीआई के तात्कालीन ब्रांच मैनेजर ने कोर्ट में उपस्थित होकर बयान दर्ज करवाया है। मालूम हो कि साल 2014 में रायपुर के खमतराई में एनआईए टीम ने धीरज साव समेत जुबैर हुसैन और उसकी पत्नी आयशा बानों को हिरासत में लिया था। एनआईए के अनुसार इनका संबध प्रतिबंधित संगठन सिमी से है। मामले मेंं तेरह लोगों की गवाही होनी थी।
एनआईए के रिपोर्ट के अनुसार धीरज साव रायपुर के खमतराई में चिकन सेंटर चलाता है। धीरज जमुई बिहार का रहने वाला है। चिकन सेंटर चलाने के दौरान 2011 में उसका संपर्क खालिद से हुआ। खालिद इंडियन मुजाहिद्दीन और सीमी का सक्रिय सदस्य है। धीरज से अच्छे से सम्बध होने के बाद उसने पैसे का प्रलोभन देकर आईसीआईसीआई बैंक में अकाउन्ट खुलवाया। धीरज ने एनआईए को बताया कि खालिद उसके अकाउन्ट में रूपए भेजेगा तेरह प्रतिशत कमीशन काटकर वह किसी दूसरे के अकाउन्ट में पैसा डाल देगा।
धीरज ने ममेरे भाई श्रवण को भी इस बारे में बताया। श्रवण ने धीरज को बताया कि वह पहले से ही खालिद के साथ काम करता है। श्रवण से विचार विमर्श करने के बाद धीरज ने खालिद के कहने पर बैंक में एक खाता खुलवा लिया। खालिद ने बताया वह अकाउन्ट से तेरह प्रतिशत रकम को काटकर जुबैर हुसैन और उसकी पत्नी आयशा बानो के एकाऊंट में रुपये ट्रांसफर कर देगा। धीरजे के अनुसार खालिद ने उसके खाते में 45 हजार जमा करवाया। तेरह प्रतिशत कमिशन काटकर बताए गए दूसरे के खाते में डाल दिया। इसके बाद उसके खाते में 12 लाख जमा हुए। उसने फिर कमीशन काटकर शेष रकम को जुबैर और आयशा के खाते में डाल दिया।
एनआईए टीम ने 25 दिसम्बर साल 2013 को हिरासत में लिया। धीरज से पूछताछ के बाद जुबैर हुसैन और आयशा बानो को हिरासत में लिया गया। मामले में तत्कालीन आईसीआईसीआई के ब्रांच मैनेजर उमेश बेहरा और अन्य 14 लोगो को गवाह बनाया गया। आज सभी गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया। ब्रांच मैनेजर ने आज गवाही दी है।