सरकार और पीएससी को हाईकोर्ट का झटका

BHASKAR MISHRA
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high court cgबिलासपुर—छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग को सहायक अभियंता भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर विज्ञापन में अन्य तीन विभागों की भर्ती के लिए शुद्धि पत्र पर जवाब मांगा है।

               आज हाईकोर्ट बिलासपुर ने एक आदेश जारी कर छ्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग से जवाब मांगा है कि आखिर किन कारणों से पूर्व सात विभागों के लिए निकाले गए विज्ञापन में परीक्षा के बाद तीन विभागों की भर्ती के लिए शुद्धि पत्र  लाया गया। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि इनका अलग से विज्ञापन क्यों किया गया।

                           मालूम हो कि 17 दिसम्बर 2014 में छ्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग ने सात विभागों में सहायक अभियंता भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। प्रीलिम्स और बाद लिखित परीक्षा के बाद पीएसी ने तीन अन्य विभागों में सहायक अभियंता भर्ती के लिए मूल विज्ञापन में जोड़कर एक शुद्दी पत्र निकाला। इसके खिलाफ पीडब्लीडी विभाग के नारायण पैकरा एवं अन्य ने एक याचिका दायर कर आयोग के इस कार्य को नियमों के खिलाफ बताया। जस्टिस प्रशांत मिश्रा की कोर्ट ने आज लोक सेवा आयोग छ्तीसगढ़ से नोटिस कर जवाब मांगा है।

                               गतिरोध भत्ता— इसी तरह एक अन्य मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार से कहा है कि अशासकीय कर्मचारियों के दिए गए गतिरोध भत्ते की वसूली कोर्ट के आगामी आदेश तक नहीं की जाए। छह महीने पहले जगदलपुर के शोएब अंसारी और अन्य के एक याचिका पर हाईकोर्ट ने आज राज्य शासन को यह आदेश दिया है ।

                                   मालूम हो कि राज्य सरकार शासकीय कर्मचारियों की तरह अशासकीय कर्मचारियों को भी गतिरोध भत्ता देता था। लेकिन साल 2013 से वित्त विभाग की असहमति से सचिव ने एक आदेश जारी कर गतिरोध भत्ता देना बंद कर दिया। इस निर्णय के खिलाफ जगदलपुर के शोएब और अन्य ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर गुहार लगाई । इसी बीच शासन ने जुलाई में एक अन्य आदेश से  2013 तक दिए गए गतिरोध भत्ते की रिकवरी कर्मचारियों से करने की बात कही। इस मामले में हाईकोर्ट ने आज शासन के आदेश को रोकते हुए सचिव को नोटिस जारी किया है कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है अगले आदेश तक कर्मचारियों से गतिरोध भत्ते की रिकवरी नहीं की जाएगी।

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